अक्सर लोग कहते हैं, गुनगुने दूध के साथ दवाएं लेनी चाहिए. उनका मानना है इससे दवाएं बेहतर असर करती हैं और उनकी तासीर बदल जाती है. विज्ञान इसे नहीं मानता. विशेषज्ञों का कहना है, कई बार मरीज चाय, दूध और जूस के दवाएं लेते हैं, ये दवाओं के असर को उल्टा कम कर सकते हैं. दूध-जूस से साथ दवा क्यों नहीं लेनी चाहिए और दवाओं के पत्ते पर लाल लाइन क्यों बनी होती है…
सबसे पहले जानिए, दूध के साथ दवाएं क्यों नहीं लेनी चाहिए. जर्मन एसोसिएशन ऑफ फार्मासिस्ट की प्रवक्ता उर्सुला सेलरबर्ग कहती हैं, जूस, दूध जैसे पेय पदार्थ दवा के असर को कम कर सकते हैं. इसे ऐसे समझें. दूध में कैल्शियम होता है जो दवा में मौजूद ड्रग को ब्लड में मिलने से रोक सकता है. इसलिए दवा का असर कम हो सकता है.
उर्सुला सेलरबर्ग कहती हैं, कुछ लोग जूस के साथ दवााएं लेते हैं, ऐसा न करें. जूस शरीर में पहुंचकर ऐसे एंजाइम पर रोक लगाता है जो दवा को शरीर में घुलने में मदद करता है. इसलिए दवा का असर और भी कम हो सकता है. या दवा देरी से अपना असर दिखा सकती है. इसलिए पानी से ही दवाएं लेना बेहतर तरीका है.
अब जानिए दवाओं के पत्ते पर लाल लकीर क्यों होती है. लाल लाइन ज्यादातर एंटीबायोटिक और कुछ अन्य दवाओं के पत्ते पर होती है. इस लाइन का मतलब है, यह दवा किसी डॉक्टर की सलाह या प्रिस्क्रिप्शन के बिना नहीं खरीदी जा सकती. अपनी मर्जी से इसका इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए इस बार में लोगों को जागरुक करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी अलर्ट जारी किया था.
एक्सपर्ट कहते हैं, खाली पेट दवा न लेने की सलाह दी जाती है. इसकी एक सबसे बड़ी वजह है पेट में जलन. कुछ ड्रग ऐसे होते हैं जिन्हें खाली पेट लेने पर पेट से जुड़ी कई दिक्कते हो सकती हैं. इसलिए इन्हें खाली पेट लेने से बचें. इसके अलावा दवाएं हमेशा प्रिस्क्रिप्शन के मुताबिक ही लेनी चाहिए.
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