रायपुर। हम समय बचाने के चक्कर में शापिंग, बैंकिंग और पढ़ाई समेत ढ़ेरों कार्यों को ‘ऑनलाइन’ निपटाना पसंद करते हैं। इसके साथ ही भारत सरकार ने भी ‘डिजिटल इंडिया’ की ओर कदम रखने जा रही है। ऐसे में हमारे लिए साइबर क्राइम एक चुनौती बनकर उभरा है।
दरअसल, प्रदेश में राज्य सरकार लगातार बढ़ते साइबर क्राइम को रोकने और अपराधियों पर लगाम कसने की तैयारी में जुटी हुई है। इसी कड़ी में सरकार ने हर संभाग में एक साइबर थाना खोलने की योजना बनाई थी। बजट में इसका उल्लेख भी था। लेकिन एक साल गुजर जाने के बाद भी यह प्रस्ताव फाइलों में दबकर रह गया है। अभी तक किसी भी संभाग में साइबर थाना नहीं बन पाया है। वहीं, इस सम्बन्ध में सवाल पूछे जाने पर बजट स्वीकृत नहीं होने की बात सामने आई है। बता दें, प्रदेश के रायपुर, बिलासपुर, बस्तर, सरगुजा और दुर्ग संभाग में साइबर थाने खुलने थे, जिसकी शुरुआत अभी तक नहीं हो पाई है।
बता दें, वर्तमान में सभी जिलों में साइबर सेल की टीम द्वारा साइबर अपराध को रोकने और अपराधियों की जाँच की जा रही है। यह साइबर सेल क्राइम ब्रांच की ही तरह कार्य कर रहा है। जानकारी के अनुसार, यह सेल साइबर अपराध की जाँच के लिए डाटा इकट्ठा करने और अन्य मामलों को देखता है। इसमें काम करने वाले ज्यादातर स्टाफ क्राइमब्रांच का ही है।
साइबर अपराध बना सरकार के लिए चुनौती
बीते कुछ वर्षों से साइबर अपराध के मामले बढ़े हैं। इनमें ऑनलाइन शापिंग, ऑनलाइन ठगी, सोशल मीडिया के जरिए परेशान करना जैसे मामले शामिल हैं। प्रदेशभर से ऐसे मामले रोज़ाना दर्ज होते हैं। इसके बावजूद पीड़ित व्यक्ति को न्याय नहीं मिल पाता। मसलन, उन्हें निराशा हाथ लगती है। इसी के चलते सरकार ने साइबर थाने की योजना बनाई थी जो कागजों तक सिमट कर रह गई है।
अंतरराज्यीय अपराधियों को पकड़ना था मकसद
साइबर थानों की मदद से सरकार और पुलिस विभाग साइबर अपराध को नियंत्रित करते ही, साथ में अन्य राज्यों में बैठकर प्रदेश के मासूम लोगों को ऑनलाइन ठगी करने वाले गिरोहों पर भी नजर रखने की योजना थी। लेकिन, थाने नहीं होने के चलते इन गिरोहों पर नज़र नहीं रखी जा पा रही है।
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