मां के फैसले से बेटा पहुंचा एकेडमी, दादाजी ने क्रिकेटर बनाने नापी दिल्ली, मुश्किल में पिता बने कोच, जानिए भारत के U-19 टीम के कप्तान की कहानी….

संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में इसी महीने की 23 ताऱीख से होने वाले अंडर-19 एशिया कप (U-19 Asia Cup) के लिए भारतीय क्रिकेट टीम का ऐलान बीते शुक्रवार को हो चुका है. दिल्ली के युवा बल्लेबाज यश धुल (Yash Dhull) को टीम का कप्तान नियुक्त किया गया है. जब टीम का ऐलान हुआ उसके बाद से यश के लिए चीजें बदल गई हैं. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक द्वारका में बाल भवन इंटरनेशनल स्कूल अकादमी ग्राउंड पर इस बात का जश्न मनाया गया और केक काटा गया जहां यश भी मौजूद थे. यश लोगों से घिरे थे और सेल्फियां देने में व्यस्त थे. यश के लिए यहां तक का सफर आसान नहीं रहा है. उनको यहां तक पहुंचाने में उनके परिवार खासकर दादाजी ने उनका भरपूर साथ दिया है.

ये उनके दादाजी ही थे जो उन्हें मैच खिलाने ले जाते थे. वह एक दिन में दो मैच खेला करते थे और अपने दादाजी के साथ सफर किया करते थे. उनके दादाजी जगत सिंह सेना में थे और पूरी दिल्ली में वह अपने पोते को लेकर घूमते थे. अब जबकि यश ने अपने करियर में बड़ा मुकाम हासिल किया है तो उसे देखने के लिए उनके दादाजी जिंदा नहीं हैं. तीन साल पहले उनका दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. यश उनके काफी करीब था. यश ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “सुबह 7:16 बजे मेरी मां उन्हें चाय देने गईं. वह जिंदा नहीं थे. मेरे दादाजी मुझे हर जगह ले जाते थे. हर मैच के लिए, हर प्रैक्टिस सेशन के लिए. हम अलग नहीं होते थे. हम साथ में खाना खाते थे. वह मुझे बुरी आदतों और संगत से बचने की सलाह देते थे. मैं जब तक मैच या प्रैक्टिस खत्म नहीं कर लेता था तब तक वह मेरा इंतजार करते थे.”

मां ने पहचानी प्रतिभा

यश के क्रिकेट करियर की शुरुआत उनकी मां के एक फैसले से हुई. यश ने बताया, “छह साल पहले मेरी मां ने मुझे शैडो प्रैक्टिस करते हुए देख लिया था वो भी बिना बल्ले के. फिर उन्होंने मुझे एकेडमी में भर्ती करा दिया.इस तरह मेरा क्रिकेट करियर शुरू हुआ.” यश जनकपुरी में एयलाइनर क्रिकेट एकेडमी में भर्ती हुए. उन्होंने अंडर-16 में पंजाब के खिलाफ विजय मर्चें ट्रॉफी में नाबाद 186 रन बनाए और लोगों की नजरों में आए. वह राष्ट्रीय क्रिकेट एकेडमी जाने वाले थे लेकिन कोरोना के कारण वह बेंगलुरू नहीं जा सके.

यश लॉकडाउन से प्रभावित न हो इसके लिए उनके पिता ने घर पर ही नेट्स लगा दिया. यश ने बताया, “मेरे पिता ने मेरे घर की छत पर नेट्स लगा दिया. हर कोई मुझे गेंदबाजी करता था. मेरी मां, मेरी बहन. मेरा परिवार हमेशा मेरे साथ रहा.”

यश की ये है खासियत

एयरलाइनर एकेडमी के कोच हैं प्रदीप कोचर, जो प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेल चुके हैं उनके मुताबिक यश का बॉल सेंस शानदार है. उन्होंने कहा, “वह दबाव को अपने ऊपर हावी नहीं होने देता. वह शांत रहता है और अपनी भावनाओं को काबू में रखता है. उसका यही स्वाभाव उसे खास बनाता है. आज के दिनों में युवाओं को दबाव झेलने में परेशानी होती है लेकिन यश के साथ ऐसा नहीं है.”

कोहली, राहुल से होती है तुलना

बाल भवन एकेडमी के कोच राजेश नागर यश की तुलना टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली से करते हैं. उनका मानना है कि यश में भी वही आक्रामकता है जो कोहली में है. वहीं कोचर को लगता है कि वह केएल राहुल की तरह हैं क्योंकि वह आसानी से अपना रूप बदल सकते हैं. यश हालांकि किसी से भी अपनी तुलना करना नहीं चाहते. उन्होंने कहा, “इन दिनों काफी प्रतिस्पर्धा है. खेल काफी जल्दी से बदल रहा है और इसलिए सही मानसकिता का होना बहुत जरूरी है. मेरे सामने लंबा रास्ता है. मेरा कोई रोल मॉडल भी नहीं है. क्योंकि जो भी इंटरनेशनल स्तर पर खेलता है उसमें कोई न कोई विशेषता होती है. मैं सिर्फ मानसिकता पर ध्यान देता हूं.”

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