Life Skill : सकारात्मक सोच के साथ काम करना चाहिए, हार कर मैदान नहीं छोड़ना चाहिए

आज के गलाकाट प्रतिस्पर्धी दौर में मुझे ज्यादातर वर्किंग लोग अपने बास / रिपोर्टिंग मैनेजर से नाखुश नजर आते हैं। सभी को लगता है कि उनकी शायद किस्मत ही खराब है जो ऐसा बास मिला है, जो बिल्‍कुल संवेदना रहित है, उसके लिए काम और डेडलाइन ही सबसे ऊपर है, बाकी सब उसके बाद है। मुझे लगता है कि यह सब हमारे नजरिये पर निर्भर करता है कि हम किसी परिस्थिति को कैसे लेते हैं। इसके उलट हम यह भी नहीं सोचते कि हमारे बास पर कितना प्रेशर है और उनको भी कितने सीनियर लोगों को जवाब देना पड़ता है।

आइये, इसे एक उदाहरण के जरिये और विस्‍तार से समझते हैं। मेरे एक मित्र बहुत दुखी थे, क्योंकि उनके बास ने उनका कंफर्मेशन (छह महीने की जाब के बाद होने वाला) और छह महीने के लिए बढ़ा दिया था। शाम को बहुत दुखी होकर बैठा देखकर मैं उनके पास चला गया। उसकी शादी कुछ समय पहले ही हुई थी, जिसकी वजह से वह छुट्टी पर भी थे और अब उनको शर्म आ रही थी कि पत्नी पूछेगी तो क्या जवाब दें। मेरे पूछने पर उन्‍होंने अपनी व्यथा बताई। मैंने जब उनको अप्रेजल की पूरी बातचीत बताने को कहा तो मुझे उनकी परेशानी समझ में आई। उनका कहना था कि वह हमेशा आफिस में देर तक काम करते रहते हैं, इसके बावजूद उसका कंफर्मेशन न होना उनको पच नहीं रहा था। उन्हें यह भी समझ में भी नहीं आ रहा था कि उनके साथ ऐसा क्‍यों हुआ है।

तय करें प्राथमिकता: मित्र की सारी समस्‍या सुनने के बाद सबसे पहले मैंने उनसे कहा कि जो भी है वह पत्‍नी का सच-सच जाकर बता दें। क्‍योंकि पति-पत्नी का संबंध विश्‍वास और सच्चाई की बुनियाद पर खड़ा होता है। इसके बाद उन्हें सुझाव दिया कि आज से जितने भी पेंडिंग काम हैं, उनकी लिस्ट बनाएं और फिर बास के पास जाकर प्राथमिकता तय कराकर उसके हिसाब से काम करना प्रारंभ करें। क्योंकि उनके अप्रेजल में सबसे बड़ा आरोप था कि वह कार्य की प्राथमिकता के हिसाब से काम नहीं करते। कई जरूरी काम निर्धारित समय पर पूरे नहीं हुए, जबकि गैर जरूरी काम करते हुए समय बिता दिया।

खरे उतरें उम्‍मीदों पर: मैंने उनसे यह भी कहा कि अगर बास टफ हैं, तो इसका मतलब है उनको आपसे ज्‍यादा उम्मीदें हैं और इसके लिए आप ज्यादा मेहनत करके उनकी उम्मीदों पर खरे उतर सकते हैं। इसके अलावा, किसी काम को शुरू करने से पहले उसकी अनुमानित समयसीमा पहले ही तय कर लेनी चाहिए, ताकि कोई कम्‍युनिकेशन गैप न रहे। इन सब बातों को उन्हें समझाने में कई घंटे गुजर गए। अगले दिन वह आफिस जाते समय नये जोश से भरे थे। उन्होंने पत्नी को भी सारा किस्सा बताया और कहा कि अब मैं पूरी लगन और मेहनत से आफिस टाइम में प्राथमिकता के आधार पर काम करूंगा और घर पर भी पूरा समय दूंगा।

समझें हालात को चुनौती: इसके छह महीने बाद एक दिन वह मुस्कुराता हुए मेरे पास आए और मुझे धन्यवाद देते हुए बोले कि आपने मुझे उस दिन इस्तीफा देने से रोक कर जीवन का सबसे बेहतरीन सबक दिया। कंपनी के इतिहास में पहली बार कंफर्मेशन के साथ उन्हें प्रमोशन भी मिला था। मतलब उन्होंने अपनी कंफर्मेशन के एक्सटेंशन को चुनौती के रूप में लेकर खुद को साबित किया। इसलिए बास के टफ होने पर जाब छोड़ना कोई समाधान नहीं हो सकता है। हमको अपने आपको साबित करने के लिए सकारात्मक सोच के साथ काम करना चाहिए। हार कर मैदान नहीं छोड़ना चाहिए।

[metaslider id="122584"]
[metaslider id="347522"]