झारखंड के शशिकांत ने मछलीपालन में किया कमाल

झारखंड 2 दिसम्बर (वेदांत समाचार)। रामगढ़ जिला भी मछली पालन में आगे बढ़ रहा है. यहां के  युवाओं ने एक नये स्त्रोत से मछली पालन शुरू किया और उसमें सफलता हासिल की है. साथ ही बेहतर कमाई कर रहे हैं. यहां के उत्साही युवाओं ने यह साबित किया है ऐसे स्त्रोत से भी जहां सालभर पानी रहता है, पर मछली पालन नहीं हो सकता था. दरअसल रामगढ़ जिले में सीसीएल के कई खादान कोयला निकालने के बाद खाली छोड़ दिया है, जहां पर साल भर पानी भरा रहता है, इससे मछली पालन में काफी लाभ मिल रहा है. सीसीएल के कुजू क्षेत्र के विस्थापित परिवारों के युवकों ने मत्स्य विभाग के अधिकारियों के संपर्क में आने के बाद सहकारी समिति बनाकर मछली पालन शुरू किया .

2010 में हुई शुरुआत

कुजू स्थित आरा कोलपिट ओपेन माइन में मछली पालन करने वाले शशिकांत ने बताया कि वर्ष 2010 में उन्होंने मछली पालन की शुरूआत की. इसके लिए उन्होंने कुजू मत्स्यजीवी सहयोग सहकारिता सहयोग समिति का गठन किया और अपने सदस्यों के साथ ओपेन माइन में मछली पालन करना शुरू किया.

अपनी पूंजी लगाकर उन्होंने यहां पर मछली पालन करने लगे. उन्होंने कहा कि घर के पास पानी का बढ़िया स्त्रोत होने के कारण मछली पालन करने का विचार किया. इसके बाद 2012 में वो अपनी मछली लेकर रांची में आयोजित प्रदर्शनी में लेकर आए, जहां पर उन्हेंने पुरस्कार के तौर पर एक केज मिला.

केज कल्चर से की शुरुआत

शशिकांत ने बताया कि 2012 के बाद उन्होंने केज कल्चर और खुले में मछली पालन करने लगे. उन्होंने बताया कि अब सीजन में वो छह क्विंटल मछली प्रतिदिन उत्पादन होता है. जिसे वो बिहार के सासाराम में भेजते हैं.