कोरबा 26 नवंबर (वेदांत समाचार)। जिले में इन दिनों लोकल स्तर पर लीग क्रिकेट का आयोजन का शोर है। आईपीएल की तर्ज पर एक क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन का जिले में दूसरी बार आयोजन किया जा रहा है।
पर्दे के पीछे से इस लीग प्रतियोगिता संचालन जिले के एक विवादित टीआई कर रहे हैं। जो कि लंबे समय तक मूल तौर पर सुकमा में पदस्थ रहते हुए जिले में सेवाएं दे चुके हैं। जिले में हुए एक ऐतिहासिक औद्योगिक हादसे में भी इनकी भूमिका बेहद संदिग्ध थी।
इतना ही नहीं इस लीग क्रिकेट में आईपीएल की तर्ज पर आठ टीमें हैं, इन 8 टीमों को 8 फ्रेंचाइजी हैं। जिनमे जिले के एक और बेहद विवादित टीआई शामिल हैं। जोकि कोयलांचल में कोयले अउ डीजल की मलाई मार चुके हैं। सरकारी नौकरी में रहते हुए सरकारी तनख्वाह से क्रिकेट टीम खरीदना केवल कोरबा जिले में की गई काली कमाई से ही संभव है।
अब सवाल यह उठता है कि फ्रेंचाइजी टीमों को किस आधार पर फ्रेंचाइजी होने का अधिकार सौंपा गया? क्या इसके लिए कोई पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई गई? उनसे कितने पैसे लिए गए, और यह पैसा कहां से आ रहा है? फ्रेंचाइजी टीमों से लिया गया पैसा कहां जा रहा है? इसका कोई हिसाब किताब नहीं है, लीग क्रिकेट के बहाने ब्लैक मनी को वाइट में बदलने की प्रबल संभावना हैं। वैसे तो पुलिस कप्तान अपनी साफ-सुथरी छवि के लिए पहचाने बनाने की चाहत रखते हैं, लेकिन इस मामले में उन्होंने भी अपनी आंखें मूंद रखी है।
फ्रेंचाइजी में आपराधिक पृष्ठभूमि वाले भी
पुलिस महकमें के साथ ही लीग क्रिकेट में जिन्हें बतौर फ्रेंचाइजी टीमों का मालिक बनाया गया है। उनमें भी कई आपराधिक पृष्ठभूमि वाले हैं, जिनमें ऐसे लोग हैं जो दोनों ही प्रमुख राजनैतिक दलों के जनप्रतिनिधि के तौर पर जिले में अपना रसूख रखते हैं।
लेकिन सच यह है कि इन पर कई आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं, जो कि विचाराधीन हैं, राजनीतिक दल के युवा विंग में अपनी पैठ रखने वाले भी फ्रेंचाइजी बने हुए हैं।
अधिकारियों ने ऊपर से लेकर नीचे तक आंखें मूंद रखी है। फ्रेंचाइजी में कुछ ठेकेदार किस्म के लोग भी हैं जो कि फरारी काट कर लौटे हैं। जिनकी नगर निगम में 1 टायर वाले भाजपा नेता के दौरान खूब ठेकेदारी चली थी। इस ठेकेदार पर भी आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं, अपने मजदूर को बांधकर पीटने का अपराध इन पर दर्ज हुआ था, हाल फिलहाल में भी वह फरारी काट कर लौटे हैं।
फ्रेंचाइजी के साथ ही स्पॉन्सर से कितने पैसे लिए किसी को नहीं पता
इस पूरे क्रिकेट लीग का आयोजन जिले के एक दागी टीआई के द्वारा किया जा रहा है। सहयोगी के तौर पर खुद को मीडियाकर्मी व क्रिकेट संघ आदि से जुड़े 2in1 की फितरत वाले लोग भी हैं। जो कि थानों में दोनों पक्षों से सांठगांठ कर दलाली का काम करते हैं।
इस आयोजन में चहेतों को टीमों का फ्रेंचाइजी बनाया है। या फिर यूं कहें कि जिसने ज्यादा पैसे दिए उन्हें फ्रेंचाइजी का अधिकार दिया गया, इतना ही नहीं इस लीग क्रिकेट के लिए उद्योगपतियों के साथ ही अलग-अलग औद्योगिक घरानों से स्पॉन्सरशिप के लिए भी पैसे ऐंठे गए हैं। फ्रेंचाइजी से कितना पैसा लिया गया, फ्रेंचाइजी का अधिकार किस आधार पर सौंपा गया और स्पॉन्सर के तौर पर कितने पैसे लिए गए?
यह किसी को भी नहीं बताया गया। इन पैसों का क्या हिसाब किताब है, पैसे कहां से आ रहे हैं और इन्हें कहां रखा जा रहा है। यह बेहद संदेहास्पद है। बड़े पैमाने पर ब्लैक मनी को वाइट में बदलने का खेल क्रिकेट के बहाने चल रहा है।
बड़े होटल में रखा गया था ऑक्शन
क्रिकेट के बहाने हैं ब्लैक मनी को वाइट में बदलने के लिए पूरी तैयारी के साथ शहर के एक बड़े होटल में खिलाड़ियों की नीलामी भी की गई। इसमें फ्रेंचाइजी टीमों ने खिलाड़ियों की खरीदी बिक्री की है। इस विषय में भी नियमों की जांच होनी चाहिए, लोकल स्तर पर इस तरह से खिलाड़ियों की खरीदी बिक्री करना किस तरह वैध है। इसके लिए क्या नियम है? यह जांच का विषय है, जिले के एक बड़े होटल में हाल ही में खिलाड़ियों की नीलामी की गई, जिसमें खिलाड़ियों को 12 से 15 हजार में खरीदा गया है। जबको टीम की कुल कीमत लाखों में है। जिले के बाहर से भी खिलाड़ियों को ओपन विंडो के तौर पर बुलाया जाएगा, उन्हें भी मोटी फीस दी जाएगी।
फंस गए साफ-सुथरी छवि वाले
इस लीग क्रिकेट में दागी पुलिस अफसरों के साथ ही आपराधिक पृष्ठभूमि वाले फ्रेंचाइजी तो शामिल हैं ही, कुछ साफ-सुथरी छवि वाले लोग भी हैं। जो क्रिकेट के इस आयोजन से जुड़े हुए हैं। वह बुरे फंस गए हैं, इनके साथ उनका भी नाम शामिल हो रहा है। तो दूसरी तरफ भोले भाले खिलाड़ियों को भी इस बात की भनक तक नहीं है कि वह एक ऐसे आयोजन में शामिल हो रहे हैं। जहां पैसों का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग की संभावना है।
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