भारत में पपीता उत्पादन में लगातार बढोत्तरी हो रही है. इसे हर मौसम किसान उत्पादन कर बाजार तक पहुंचा कर अच्छी कमाई कर रहे हैं . किसान पपीते के ताजा फल बेचने के साथ अगर प्रसंस्करण करे तो उनकी आय चौगुनी हो सकती है . किसान प्रसंस्कृत उत्पाद (processed products) एफ. एस. एस. ऐ. आई.(FSSAI) रजिस्ट्रशन कर उसको बेच सकते है. ऐसे ही उत्पादों में से एक, कम लागत एवं अधिक मूल्यवर्धक उत्पाद पपीता स्क्वैश है.
डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विशविद्यालय पूसा समस्तीपुर बिहार के के उद्यानिकी विभाग के प्राध्यापक डॉ. के. प्रसाद, ने टीवी9 डिजिटल के जरिए किसानों को इसकी जानकारी दे रहे हैं.
पपीते का जूस बनाने के तरीके
डाक्टर प्रसाद के मुताबिक इस उत्पाद के निर्माण product manufacturing की विधि अत्यंत सरल है, जिसमे एक किलो ग्राम पपीता से लगभग चार लीटर स्क्वैश का निर्माण हो जाता है.
इसको बनाने के लिए एक किलोग्राम पल्प में 1.8 किलोग्राम चीनी जो की 1लीटर पानी में घोल के मिलाया जाता है . इसके अतिरिक्त 25 ग्राम सिट्रिक एसिड citric acidएवं 350 पी.पी.एम. ppm की मात्रा से के.एम.एस. परिरक्षक KMSpreservativeदिया जाता है .
निर्माण क्रिया पूर्ण होने के बाद सील्ड प्लास्टिक बॉटल्स(Sealed Plastic Bottles) में स्वच्छ वातावरण में स्क्वैश को बोतल में भर कर सील करकर ठन्डे भण्डारणcold storage में रख दिया जाता है . यह उत्पाद 6 से 8 महीनो तक भण्डारण में रखा जा सकता है.
किसान फ. एस. एस. आई. रेजिस्ट्रेशन कर इसकी कमर्सियल बिक्री कर सकते है . जिससे वह ताजा फल की तुलना में चार गुना अधिक आय प्राप्त कर सकते है .
सेवन की विधि
पपीता स्क्वैश को पीते वक़्त 1:3 के अनुपात में पानी को मिलकर इसे पिया जाता है . जिसका सेवन सस्थ्य के लिया लाभदायक होता है .पपीता स्क्वैश को डा राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय में शोध के बाद किसानों के लिए प्रदर्शित किया गया है.
पपीते स्क्वैश का मानकीकरण विश्वविद्यालय में कटाई उपरांत प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला , तिरहुत कृषि महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डॉ. के. प्रसाद ने ही तैयार किया है इसलिए डाक्टर प्रसाद किसानों को उसके उत्पाद का सही मूल्य मिले इस पर काम कर रहे हैं.
इस उत्पाद से किसान न केवल अधिक आय पाने में सक्षम होंगे बल्कि साथ साथ तुड़ाई उपरांत क्षति को भी काम कर पायंगे . प्रसंस्करण न केवल पपीता किसानो की आय चौगुनी करता है अपितु यह कटाई उपरांत क्षति से हो रहे नुकसान को भी कम कर किसानो को दोहरा लाभ देता है .
चौगुनी कमाई होगी
डाक्टर प्रसाद के मुताबिक छोटे छोटे किसान कभी कभी अधिक पके हुए फलो को कम मूल्य पर बेच देते है एवं जो फल ग्रेडिंग में नहीं आ पाते उनके अच्छे से पके होने के बाद भी किसान अधिक मूल्य अर्जित नहीं कर पाते जबकि प्रसंस्करण कर किसान उसी उत्पाद का तिगुना या चौगुना मूल्य प्राप्त कर सकते है . सिर्फ जरुरत है तो वैज्ञानिक विधि (Scientific method) से उत्पाद निर्माण एवं ऍफ़. पी. ओ. एवं फ. स. स. ऐ. आई.(FSSAI) के मानको के आधार पर इनकी बिक्री . प्रसंस्करण किसानो की अधिकतम आय सुनिश्चित करता है.
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