हर बार सोनिया गांधी से मिलना जरूरी है क्या? ममता बनर्जी के बयान से मिल रहे बड़े संकेत

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के विस्तार में जुटी हैं। अपने दिल्ली दौरे के दौरान उन्होंने कई नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कराया। उनमें कीर्ति झा आजाद जैसे नाम भी शामिल हैं। ममता ने कहा है कि उनकी यह सियासी यात्रा उन्हें फिलाल वाराणसी तक ले जाएगी, जो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लोकसभा क्षेत्र है। इसके अलावा ममता महाराष्ट्र का भी दौरा करेंगी।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के बारे में पूछे जाने पर ममता बनर्जी ने कहा कि इसकी कोई योजना नहीं है, क्योंकि वे पंजाब चुनाव में व्यस्त हैं। बाद में, उन्होंने कहा, “हमें हर बार सोनिया से क्यों मिलना चाहिए? यह संवैधानिक रूप से अनिवार्य नहीं है।” उनकी टिप्पणी उनकी पार्टी के एक बड़े विस्तार की होड़ के बीच आई। आपको बता दें कि टीएमसे जॉइन करने वाले अधिकांश नेता कांग्रेस के ही हैं।

पिछले कुछ हफ्तों में जिन नेताओं ने खेमा बदला है, उनमें गोवा में लुइज़िन्हो फलेरियो, दिवंगत राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी, सिलचर से कांग्रेस की पूर्व सांसद और दिवंगत कांग्रेस नेता संतोष मोहन देव की बेटी सुष्मिता देव शामिल हैं। इसके अलावा देर रात मेघालय के एक दर्जन विधायकों ने टीएमसी का दामन थाम लिया।

ममता बनर्जी सोनिया गांधी के साथ अच्छे समीकरण साझा करने के लिए जानी जाती थीं, लेकिन यह अगली पीढ़ी तक नहीं फैली। बंगाल के कांग्रेस नेताओं की बनर्जी के प्रति उदासीनता ने दोनों दलों के बीच एक और दरार पैदा कर दी है। तृणमूल प्रमुख ने कहा है कि वह आगामी उत्तर प्रदेश चुनावों में समाजवादी पार्टी का सहयोग करने को तैयार हैं।

उन्होंने कहा, “अगर तृणमूल यूपी में बीजेपी को हराने में मदद कर सकती है, तो हम जाएंगे। अगर अखिलेश यादव हमारी मदद चाहते हैं तो हम उनकी मदद करेंगे।”

तृणमूल प्रमुख ने यह भी कहा कि वह एक दिसंबर को “कुछ व्यावसायिक शिखर सम्मेलन” के लिए मुंबई जाएंगी, जहां वह मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और शरद पवार से मुलाकात करेंगी। ममता बनर्जी ने यह भी कहा कि उन्होंने वाराणसी जाने की योजना बनाई है, क्योंकि कमलपति त्रिपाठी का परिवार अब उनके साथ है।

ममता बनर्जी की पार्टी के जो तीन प्रमुख नेता शामिल हुए हैं, उनमें दरभंगा के पूर्व सांसद और कांग्रेस नेता कीर्ति आजाद, राहुल गांधी के पूर्व सहयोगी अशोक तंवर और जनता दल यूनाइटेड के लिए राज्यसभा सांसद पवन वर्मा हैं। 

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