तेजी से चल रहे टीकाकरण के साथ कोवैक्सीन का प्रभाव भी बढ़ रहा, एम्स के शोध में हुआ खुलासा

देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) के खिलाफ वैक्सीनेशन (Vaccination)  तेजी से चल रहा है. इस बीच स्वदेशी कोवैक्सीन (Co vaxin) को लेकर एक शोध सामने आया है. शोध में शामिल डॉक्टरों के मुताबिक, समय के साथ कोवैक्सीन का प्रभाव (Efficacy) बढ़ रही है. टीकाकरण के शुरुआती समय में इस वैक्सीन की प्रभाविकता 50 फीसदी थी, जो बढ़कर 85 फीसदी तक होने की संभावना है. नई दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की ओर से यह अध्ययन किया गया है. यह देश में कोवैक्सीन की एफीकेसी को लेकर पहली रिपोर्ट है. इसको द लैंसेट में प्रकाशित किया गया है.

एम्स की ओर से 15 अप्रैल से लेकर 15 मई के बीच यह शोध किया गया है. इसमें एम्स के उन 2714 कर्मचारियों को शामिल किया गया था. जिनमें कोरोना के लक्षण थे और इन सभी ने कोवैक्सीन लगवाई थी. जिन 2714 कर्मचारियों पर यह अध्‍ययन किया गया है उनमें से 1617 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए थे, जबकि 1097 कर्मचारियों में कोरोना नहीं मिला था. अध्ययन में पाया गया कि  कोरोना वैक्‍सीन की दूसरी डोज ले चुके लोगों में कोरोना संक्रमण के खिलाफ प्रभावशीलता 50 फीसदी थी. जो बढ़कर 75 फीसदी तक हो गई.  जिस दौरान यह शोध किया गया था, उस दौरान देश में  डेल्‍टा वेरिएंट काफी फैला हुआ था. आरटीपीसीआर टेस्ट में संक्रमित मिले करीब 80 फीसदी कर्मचारियों में इस वैरिएंट की पुष्टि हुई थी.

80 से 85 फीसदी तक प्रभावशाली है वैक्सीन

एम्स के मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉक्टर नवनीत विग का कहना है कि इस शोध से पता चलता है कि कोरोना पर लगाम लगाने के लिए वैक्सीन सबसे अधिक प्रभावशाली तरीका है. कोवैक्सीन को दोनों डोज लगने के दो सप्ताह  बाद इसकी एफीकेसी 50 फीसदी थी जो छह सप्ताह बाद बढ़कर 75 फीसदी तक हो गई.ऐसे में अब टीके की एफीकेसी 80 से 85 फीसदी तक होने की संभावना है. डॉक्टर नवनीत का कहना है देश में संक्रमण को काबू में रखने के लिए टीकाकरण को और अधिक बढ़ाने की जरूरत है. टीकाकरण के साथ-साथ लोगों को कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना भी जरूरी है. सभी पात्र लोगों का वैक्सीनेशन और कोरोना से बचाव के नियमों का पालन करने से इस वायरस को काबू में रखा जा सकता है.

सिर्फ 50 फीसदी प्रभाव की बात गलत

डॉक्टर का कहना है कि इस शोध में अलग- अलग परिस्थितियों के दौरान आंकड़े बदले हैं. इसलिए सिर्फ एक डाटा के हिसाब से रिसर्च को न आंके, डॉक्टर के मुताबिक, कई मीडिया रिपोर्टस में दावा किया गया है कि कोवैक्सीन की प्रभाविकता सिर्फ 50 फीसदी है, जबकि ऐसा नहींं है.

वैक्सीन से वायरस काबू में

दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के मेडिसिन विभाग के अडिशलन प्रोफेसर डॉक्टर नीरज निश्चल ने बताया कि देश में जैसे जैसै टीकाकरण बढ़ रहा है. उसके साथ वैक्सीन की एफीकेसी भी बढ़ रही है. कोरोना के कम होते मामले इस बात का प्रभाण है कि वायरस के खिलाफ वैक्सीन काफी प्रभावी है.

स्वदेशी है कोवैक्सीन

कोवैक्सीन देश में बनाया गया टीका है. इसको हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक द्वारा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (एनआईवी-आईसीएमआर)  के सहयोग से बनाया गया है. 28 दिन के भीतर इस वैक्सीन की दूसरी डोज लग जाती है.