‘तनाव’ में थे महंत गिरि, CBI ने कहा- मानहानि से बचने और एडिटेड वीडियो की धमकी के कारण समाप्त कर ली जीवनलीला..

24 नवंबर (वेदांत समाचार)। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि अपने शिष्य आनंद गिरि, पुजारी आद्या प्रसाद तिवारी, उनके बेटे संदीप तिवारी की वजह से ‘भारी मानसिक तनाव’ में थे और उन्होंने समाज की नजरों में ‘मानहानि और अपमान’ से बचने के लिए जीवन लीला समाप्त कर ली थी. उनकी मौत की जांच कर रही सीबीआई ने अपने आरोप पत्र में यह दावा किया है.

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने वह वीडियो भी बरामद किया है जिसे महंत ने आत्महत्या करने से पहले कथित तौर पर रिकॉर्ड किया था. इसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि आनंद गिरि ‘एडिटेड वीडियो’ जारी करने वाले थे जिसमें उन्हें महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में दिखाया गया है.

एजेंसी ने 20 नवंबर को आरोप पत्र दाखिल किया है जिसमें प्रयागराज स्थित बड़े हनुमान मंदिर के पुजारी आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी और संदीप तिवारी को आरोपी बनाया गया है और सभी इस समय आत्महत्या के लिए उकसाने, आपराधिक साजिश रचने के आरोप में न्यायिक हिरासत में हैं.

20 सितंबर को बाघम्बरी मठ में फंदे से झूलता मिला था शव

गौरतलब है कि नरेंद्र गिरि संतों के सबसे बड़े संगठन के अध्यक्ष थे और 20 सितंबर को प्रयागराज के बाघम्बरी मठ के कमरे में उनका शव फंदे से झूलता हुआ मिला था.

आरोप पत्र के मुताबिक नरेंद्र गिरि को भय था कि आनंद गिरि महिला के साथ उनका कथित एडिटेड वीडियो जारी कर सकते हैं ताकि उनकी छवि धूमिल की जा सके. एक अन्य वीडियो में वह अपने शिष्यों से दूसरे के चेहरे पर तस्वीर लगाकर वीडियो बनाने के बारे में पूछते नजर आ रहे हैं.

चार्जशीट के अनुसार, नरेंद्र गिरि को डर था कि आनंद गिरि उसकी छवि खराब करने के लिए महिला के साथ के उनके एडिटेड वीडियो को फैला सकते हैं. उन्होंने अपने शिष्यों से पूछा था कि क्या वीडियो में किसी का चेहरा दूसरे पर लगाया जा सकता है.

चार्जशीट के मुताबिक, 20 सितंबर की सुबह अपनी मृत्यु से कुछ घंटे पहले, नरेंद्र गिरि ने वाराणसी में एक संत महंत संतोष दास को फोन किया था, जिन्हें जानकारी थी कि आनंद गिरि ने एक एडिटेड वीडियो तैयार किया था जिसमें नरेंद्र गिरि को एक महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में दिखाया गया था.

क्लिप वायरल होने का था डर

चार्जशीट में कहा गया है कि नरेंद्र गिरि ने आशंका व्यक्त की थी कि आनंद गिरि ने इलाहाबाद में दो लोगों और हरिद्वार में एक व्यक्ति को वीडियो दिखाया था और वह इस क्लिप को वायरल करने जा रहा था.

चार्जशीट में नरेंद्र गिरि और आनंद गिरि के बीच विवाद का विस्तृत विवरण दिया गया है, जो कथित तौर पर महंत की इच्छा में बदलाव का परिणाम था. नरेंद्र गिरि ने पहले बलबीर गिरि को इलाहाबाद में बाघंबरी गद्दी के उत्तराधिकारी के रूप में घोषित किया था, जिस बाद में बदलकर आनंद गिरि को उत्तराधिकारी बना दिया था.

सीबीआई ने आरोप लगाया कि नरेंद्र गिरि और आनंद गिरि के बीच तनातनी के बीच महंत के आग्रह पर आनंद गिरि को निरंजनी अखाड़ा, हरिद्वार, बाघंबरी गद्दी और बड़े हनुमान मंदिर से निकाल दिया गया.

नरेंद्र गिरि ने बड़े हनुमान मंदिर के पुजारी के रूप में आध्या तिवारी को भी निष्कासित कर दिया था और मंदिर परिसर में एक फूल की दुकान वापस ले ली थी, जिसे उनके बेटे द्वारा चलाया जाता था, जो इस मामले में एक आरोपी भी था.

इसमें आरोप लगाया गया है कि नरेंद्र गिरि ने आनंद गिरि पर बाघंबरी गद्दी के धन का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया था और कहा था कि वो परिवार के सदस्यों के साथ संबंध बना रहे हैं, जो एक तपस्वी के लिए अनुचित था. इसमें कहा गया है कि आनंद गिरि को निष्कासित करने के लिए 13 मई, 2021 को निरंजनी अखाड़े के पंच परमेश्वर की बैठक हरिद्वार में बुलाई गई थी, जिसमें उन्हें निष्कासित करने का निर्णय लिया गया था.

‘वीडियो देखकर पैरों की जमीन खिसक जाएगी’

सीबीआई का आरोप है कि एक कॉल के दौरान, आनंद गिरि ने कथित तौर पर कहा था कि उनके पास नरेंद्र गिरि के कई आपत्तिजनक वीडियो और ऑडियो हैं. सीबीआई ने चार्जशीट में बातचीत का हवाला देते हुए कहा, ‘मैं आपको भेजूंगा तो आपके पैरों की जमीन खिसक जाएगी, ऐसे-ऐसे वीडियो और ऑडियो मेरे पास हैं.’

आरोप पत्र में आरोप लगाया गया है कि जांच के दौरान आनंद गिरि के मोबाइल से महंत नरेंद्र गिरि, महंत रवींद्र पुरी और आनंद गिरि के बीच हुई बातचीत की ऑडियो रिकॉर्डिंग भी बरामद हुई है. ये बातचीत भी उसी में से किसी एक का हिस्सा है.

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