पटना 20 नवंबर (वेदांत समाचार)।पटना के दो बहादुर बच्चों के हौसले ने कोरोना से लड़ाई को आसान बनाने में मदद की है। सत्यम और सम्यक नाम के इन दो बहादुर भाईयों ने बच्चों की कोरोना वैक्सीन के ट्रायल में शामिल होने का जोखिम लिया। इसी तरह के ट्रायल के बाद तैयार हुई वैक्सीन अब देश के करोड़ों बच्चों का सुरक्षा कवच बनेगी। जानिए, दो सगे भाइयों की कहानी… जिनके योगदान से आज बच्चों की वैक्सीन बनकर तैयार हुई है।
मां के साथ बच्चे भी बन गए कोरोना योद्धा
पटना AIIMS के बर्न एंड प्लास्टिक सर्जरी विभाग की HOD डॉ. वीना सिंह और उनके दोनों बच्चों काे कोरोना योद्धा के नाम से जाना जाता है। डॉ. सिंह ने वैक्सीन के लिए खुद जोखिम उठाकर ट्रायल दिया और जब बच्चों के वैक्सीन की बारी आई तो ट्रायल के लिए अपने दोनों बच्चों को आगे कर दिया। महिला डॉक्टर और उनके दोनों बच्चों के जज्बे ने ही उन्हें कोरोना योद्धा के रुप में अलग पहचान दिलाई है।
जोखिम उठाया ताकि लोग सुरक्षित रहें
13 साल के सत्यम और 7 साल के सम्यक आज सामान्य बच्चों से कई गुना फिट हैं। कोरोना का खतरा कम है, क्योंकि वे पूरी तरह वैक्सीनेटेड हैं, लेकिन वैक्सीन का ट्रायल देना जोखिमभरा था। नई चीज का ट्रायल आसान नहीं होता, इस कारण कोई अपने बच्चों को आगे नहीं आने दे रहा था, लेकिन सत्यम और सम्यक ने डर से बाहर निकल कर अपना जज्बा दिखाया।
सत्यम बताते हैं कि वह अपनी मां को देखकर बच्चों के वैक्सीन ट्रायल के लिए तैयार हुए। उनका जज्बा देखकर छोटे भाई सम्यक ने भी वैक्सीन के ट्रायल की जिद कर ली। दो-दो बच्चों का नई वैक्सीन पर ट्रायल दिलाना डॉ. वीना के लिए भी बड़ी चुनौती थी, लेकिन देश के करोड़ों लोगों के हित में जिस तरह से खुद वैक्सीन के ट्रायल का हिस्सा बनी थीं, उसी तरह अपने बच्चों को भी आगे कर दिया।
बड़ों को लेना चाहिए बच्चों से सबक
सत्यम कहते हैं, ‘मां से जिद करके ट्रायल में शामिल हुए थे, क्योंकि हमें मालूम था कि जितना जल्दी ट्रायल पूरा होगा उतनी ही जल्दी वैक्सीन आएगी। चाहते थे कि देश के हर बच्चे को कोरोना से आजादी दिलाई जा सके। ट्रायल में बस एक दिन थोड़ा दर्द रहा, उसके बाद से खुद को काफी सुरक्षित मानते हैं।’ उनका कहना है, ‘हमें गर्व होता है कि जिस वैक्सीन का ट्रायल दिया आज वह करोड़ों बच्चों की सुरक्षा कवच बनेगी।’
सत्यम और सम्यक ने विशेष बातचीत में कहा, ‘वैक्सीनेशन में लापरवाही नहीं होनी चाहिए।’ दोनों भाइयों ने हर गार्जियन और बच्चों से अपील की है कि वैक्सीन के प्रति उसी तरह का जज्बा दिखाएं जैसे सत्यम और सम्यक ने ट्रायल में दिखाया है। उन्होंने कोरोना की लड़ाई में हर किसी से कोरोना योद्धा बनने की अपील की है।
डॉक्टर का धर्म लोगों की सुरक्षा के लिए आगे आना है: डॉ. वीना
डॉ. वीना सिंह का कहना है, ‘डॉक्टर का धर्म है कि आम लोगों की सुरक्षा के लिए आगे आए। कोरोना की लहर को देख पूरे देश में हाहाकार मचा था। बस एक ही उम्मीद थी जिंदगी की, वह थी वैक्सीन। देश में वैक्सीन तैयार हुई और इसका ट्रायल शुरू हो गया। पटना एम्स भी ट्रायल में शामिल हुआ, लेकिन लोगों में जागरुकता की कमी के कारण ट्रायल के लिए लोग नहीं मिल रहे थे। देश में जल्दी वैक्सीन आए, इसके लिए वह आगे आईं और खुद पर वैक्सीन का ट्रायल कराया।’
उनका कहना है, ‘हमें गर्व है कि मेरे साथ दोनों बच्चों ने भी जिद कर कोरोना वैक्सीनेशन का ट्रायल दिया।’
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