16 नवंबर (वेदांत समाचार)। दिल्ली की एक विशेष अदालत ने JEE (Main) हेरफेर मामले में एक आरोपी को जमानत पर रिहा होने के सात दिनों के भीतर अपने फोन पर ‘गूगल मैप पर पिन’ डालकर सीबीआई जांच अधिकारी के साथ अपना स्थान साझा करने का निर्देश दिया. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) के मामलों में संभवत: यह पहला ऐसा आदेश है.
विशेष अदालत ने ‘एफिनिटी एजुकेशन प्राइवेट लिमिटेड’ के पुणे कार्यालय में एक कर्मचारी, अजिंक्य नरहरि पाटिल की जमानत याचिका स्वीकार कर ली, जिसने कथित तौर पर पैसा लेकर संयुक्त इंजीनियरिंग परीक्षा-जेईई (मुख्य) के माध्यम से इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में उनके प्रवेश की व्यवस्था करने का वादा करके इच्छुक उम्मीदवारों को लालच दिया था.
इस साल 2 सितंबर को रैकेट का भांडाफोड़ कर सीबीआई ने आरोप लगाया कि एफिनिटी एजुकेशन के आरोपी मालिकों और अधिकारियों ने ‘रिमोट एक्सेस’ (दूर से पहुंच) के माध्यम से प्रश्न-पत्रों को हल करके और कुछ मौकों पर उनकी अवैध सेवाएं खरीदने वाले उम्मीदवारों को आंसर की प्रदान करके संयुक्त प्रवेश परीक्षा (मुख्य) को नुकसान पहुंचाया.
मामले में आरोपी पाटिल को 50,000 रुपए के मुचलके पर सशर्त जमानत देते हुए अदालत ने कहा कि वह जमानत पर रिहा होने के सात दिनों के भीतर जांच अधिकारी के साथ अपना फोन नंबर साझा करेगा. विशेष न्यायाधीश हरीश कुमार ने यह भी निर्देश दिया कि उसका फोन नंबर ‘हमेशा गूगल मैप पर एक पिन छोड़ेगा और हमेशा ऑन रहेगा’ ताकि जांच अधिकारी को उसकी लोकेशन का पता रहे.
मामले में कई जगहों पर हुई थी छापेमारी
सीबीआई इस कथित हेरफेर के मामले में सितंबर में सोनीपत के एक इंजीनियरिंग कॉलेज के एक सहायक प्रोफेसर सहित चार लोगों को भी गिरफ्तार किया था. अधिकारियों ने बताया था कि सोनीपत के एक निजी इंजीनियरिंग कॉलेज में कार्यरत सहायक प्रोफेसर संदीप गुप्ता, लैब टेक्नीशियन अरविंद सैनी और कुलदीप गर्ग और कर्मचारी तुलसी राम को गिरफ्तार किया गया था.
एफिनिटी एजुकेशन प्राइवेट लिमिटेड और उसके निदेशकों द्वारा कथित हेरफेर को लेकर सीबीआई के दलों ने सितंबर की शुरुआत में दिल्ली-एनसीआर, पुणे, जमशेदपुर, इंदौर और बेंगलुरु में 19 स्थानों पर छापे मारे थे. प्रतिष्ठित जेईई (मेन्स) परीक्षा आईआईटी (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान)और एनआईटी (राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान) में दाखिले के लिए बहुत अहम होती है.
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