कोरबा,15 नवम्बर (वेदांत समाचार)। विज्ञान प्रदर्शनी का मूल उद्देश्य तरूण विद्यार्थियों को विज्ञान के प्रति आकर्षित व प्रेरित करना तथा जनसाधारण को विज्ञान एवं वैज्ञानिक उपलब्धियों के प्रति सजग बनाना है । विज्ञान प्रदर्शनी में विद्यार्थी अपनी-अपनी विज्ञान परियोजना प्रस्तुत करते हैं । इस परियोजना के माध्यम से वे अपनी वैज्ञानिक सोच प्रस्तुत करते हैं । वे विभिन्न मॉडल बनाकर मानव कल्याण के उपयोगी पक्ष के प्रति जागृति पैदा करने का कार्य करते हैं । विज्ञान प्रदर्शनी का एक लाभ यह भी है कि छात्रों में वैज्ञानिक रूचि प्रेरित करने और विकसित करने के लिए ये सहायक होते हैं । इस प्रदर्शनी के माध्यम से विभिन्न प्रकार के प्रोजेक्ट तैयार करने, उपकरण बनाने अथवा लेख तैयार करने के क्रम में छात्र जिज्ञासा को तुष्टि मिलती है उनकी छानबिन की प्रकृति को पोषण मिलता है । विज्ञान मेला या विज्ञान प्रदर्शनी छात्रों में वैज्ञानिक प्रतिभा की खोज में भी महत्वपूर्ण योगदान देते हैं । विज्ञान प्रदर्शनी के माध्यम से शिक्षकों को भी अपने कार्य में नयेपन का अनुभव होता है और उनकी रूचि बढ़ती है । विज्ञान प्रदर्शनी छात्रों में और शिक्षकों में रचनात्मकता उत्पन्न करता है । जिससे छात्र और शिक्षक में सामंजस्य स्थापित होता है ।
दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल में विज्ञान प्रदर्शनी का आयोजन किया गया । विद्यार्थियों को दैनिक जीवन में विज्ञान के लाभ एवं चमत्कारों से अवगत कराया गया । कक्षा पाँचवीं से लेकर कक्षा दसवीं तक के विद्यार्थियों ने विज्ञान के विभिन्न मॉडल बनाकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया । इंडस पब्लिक स्कूल में अध्ययनरत विद्यार्थियों को सोलर सिस्टम का चलित मॉडल दिखाया गया एवं उसकी कार्यविधि के बारे में बताया गया । कक्षा आठवीं के विद्यार्थियों ने डी.एन.ए. का भी मॉडल बनाया था । इस मॉडल के बारे में विद्यालय की शिक्षिकगण मनीष झा, अमरेन्द्र कुमार, समरजीत होता, श्रीमती शैलजा राव., श्रीमती हर्षा राजपुत, श्रीमती रंजीत कौर, श्रीमती निबेदिता स्वाइन, श्री संजीव कुमार चौधरी एवं सुशांत मुखर्जी, का विशेष सहयोग रहा । अमरेन्द्र कुमार ने बच्चों का ज्ञान वर्धन किया । विद्यालय में विद्यार्थियों को रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान, जीव विज्ञान, खगोल विज्ञान इत्यादि के बारे में गहराई से बताने का प्रयास किया गया । इस विज्ञान प्रदर्शनी में विद्यार्थियों ने एक से बढ़कर एक विज्ञान मॉडल का प्रदर्शन किया किसी ने रैनवाटर हार्वेस्टिंग का चलित मॉडल प्रदर्शित किया तो किसी ने एन्टीथैप्ट सिस्टम से परिसर को सुरक्षित रखने के प्रति अपनी जिज्ञासा दिखाई । किसी ने क्लोनिंग का बेहतरीन मॉडल प्रस्तुत किया तो किसी ने ऊर्जा संरक्षण का चलित मॉडल प्रस्तुत किया ।
आई.पी.एस. दीपका में विज्ञान से संबंधित विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया । विज्ञान प्रश्नोत्तरी, विज्ञान पहेली एवं सर्वश्रेष्ठ स्वचालित मॉडल प्रतियोगिता । सभी प्रतियोगिताओं का भरपूर आनंद लिया एवं अपना ज्ञानवर्धन किया । विज्ञान की विभिन्न स्वचालित मॉडल को देखकर बच्चों ने दैनिक जीवन में विज्ञान के महत्व को गहराई से समझने का प्रयास किया ।
श्री नूतन सिंह कंवर(सी.ई.ओ. जिला-कोरबा) ने कहा कि यह विज्ञान का चमत्कार ही है कि आज मानव चाँद पर भी अपना बसेरा बसाना चाहता है । यदि इंसान के बस में हो तो मृत व्यक्ति के भी शरीर में प्राण डाल दे और यही कार्य शेष रह गया है जहाँ विज्ञान अध्यात्मिकता के आगे नतमस्तक हो जाता है । विज्ञान हमारी दैनिक जीवन की आवश्यकता एवं सहयोगी है और आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है । विज्ञान का हर क्षेत्र में योगदान बढ़ गया है । अब तो विज्ञान ने बिजली के कई ऐसे उपकरण प्रदान किए हैं जिनसे मानव का काम और भी आसान बन गया है ।
विद्यालय के शैक्षणिक प्रभारी श्री सव्यसाची सरकार ने कहा कि विज्ञान ने आज प्रत्येक प्राणी का जीवन आसान कर दिया है । विज्ञान एक तरफ हमारा सबसे बड़ा सहयोगी है तो वहीं दुसरी ओर इसका दुरूपयोग विनाशकारी भी होता है । आज एक से बढ़कर एक अत्याधुनिक सुरक्षा उपकरणों के माध्यम से हम जमीन तो क्या आसमान की बुलंदियों से भी चप्पे चप्पे पर अपनी पैनी नजर रख कर अपने राष्ट्र की हिफाजत कर सकते हैं ।
विद्यालय प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने कहा कि आज के तेजी से बदलते परिवेश में विज्ञान हमारी मूलभूत आवश्यकता बन गई है । आज इंसान को आँख खोलने से लेकर आँख बंद करने तक विज्ञान की आवश्यकता बनी रहती है । अगर हम कहें कि विज्ञान के बिना आज हमारा जीवन अधूरा है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी । जरूरत है तो सिर्फ विज्ञान के अनुशासित रूप से उपयोग कि । आज मनुष्य पृथ्वी के अलावा मंगल और चाँद पर भी अपना आशियाना बनाने का ख्वाब साकार कर रहा है । यदि हम बात करें चिकित्सा विज्ञान की तो यह एक वृहद क्षेत्र है जिसमें विज्ञान के सहयोग के बिना अध्ययन असंभव है । आज प्रत्येक असाध्य बीमारी का उपचार विज्ञान के सहयोग से संभव हो पाया है ।
विद्यालय के प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता जी ने कहा कि श्री वेंकट रमन जी समुद्री यात्रा के दौरान समुद्र के नीले पानी को देखकर सोचने लगे थे कि पानी का रंग नीला ही क्यों है और यही से उनके प्रयोग का सिलसिला आरंभ हुआ । उन्होने सन् 1930 में प्रकाश से संबंधित एक सफल एवं विश्व प्रसिध्द प्रयोग किया जिसे रमन प्रभाव कहा गया इसके लिए इन्हे नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया । 28 फरवरी को हम इस महान वैज्ञानिक को सम्मान देने के लिए ही राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाते हैं। अगर हममें जिज्ञासा है तो हम भी एक सफल वैज्ञानिक बन सकते हैं क्योंकि विज्ञान का प्रथम नियम जिज्ञासा ही है जो निरंतर सफल एवं असफल प्रयोगों के आधार पर एक ठोस नतीजे पर पहुँचता है ।
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