WTC-Bhutani केस से क्या बदल जाएगा दिल्ली-एनसीआर का प्रॉपर्टी मार्केट, कीमतों पर पड़ेगा असर?

मुंबई,08 मार्च 2025 : दिल्ली-एनसीआर के प्रॉपर्टी मार्केट में एक बार फिर हलचल देखी जा रही है. मार्केट में अच्छी इमेज रखने वाले दो बड़े रियल एस्टेट डेवलपर WTC और Bhutani Infra पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं और दोनों ईडी की जांच के रडार पर हैं. क्या ये केस बाजार के माहौल और आसमान छूती कीमतों पर असर डालेगा?

कोविड से ठीक पहले की बात है… दिल्ली-एनसीआर में ऐसे कई रियल एस्टेट डेवलपर्स थे, जिन्होंने बहुत सारे प्रोजेक्ट लॉन्च किए, लेकिन उनमें से कई बहुत देरी से ग्राहकों को डिलीवर हुए तो कई डिलीवर ही नहीं हुए. इस बीच में कुछ रियल एस्टेट कंपनियां ऐसी आईं जिन्होंने ग्राहकों के इस भरोसे को फिर से जीतने का काम किया. तभी कोविड के बाद रियल एस्टेट की डिमांड भी बढ़ी तो इनका नाम भरोसे की पहचान बन गया. इन्हीं में से दो नाम वर्ल्ड ट्रेड सेंटर्स (WTC) और भूटानी इंफ्रा (Bhutani Infra) बनकर उभरे, लेकिन अब इनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं और दोनों प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच का सामना कर रहे हैं. तो क्या ये केस फिर से दिल्ली-एनसीआर के प्रॉपर्टी मार्केट को हिला देगा?

कैसे खराब हुआ दिल्ली-एनसीआर का प्रॉपर्टी मार्केट?
कोविड आने से पहले दिल्ली-एनसीआर के रियल एस्टेट मार्केट में आम्रपाली, सुपरटेक और जेपी इंफ्रा, ये कुछ ऐसे नाम थे जिनके प्रोजेक्ट्स नोएडा-गाजियाबाद के लगभग हर इलाके में मौजूद थे. लेकिन एक-एक करके ये सभी डिफॉल्टी होते गए. लगभग सभी को एनसीएलटी की कार्यवाही का सामना करना पड़ा और इनके प्रोजेक्ट्स में फंसे ग्राहकों को बचाने के लिए कई अन्य रियल एस्टेट कंपनियों को आगे आना पड़ा.

इस बीच भूटानी इंफ्रा, डब्ल्यूटीसी और स्पेक्ट्रम जैसे कुछ डेवलपर्स ने कमर्शियल स्पेस में अपने आपको स्थापित किया. वहीं गौर, एटीएस, अरिहंत, सीआरएस और गुलशन जैसे डेवलपर्स ने रेजिडेंशियल स्पेस में अपनी पहचान बनाई. कोविड के बाद जब मार्केट में डिमांड बढ़ी, तो इन डेवलपर्स ने टाइम पर प्रॉपर्टी डिलीवर करके लोगों के भरोसे को फिर से कायम किया.

खुला भूटानी-डब्ल्यूटीसी का कांड
अब भूटानी इंफ्रा और डब्ल्यूसी का कांड भी खुलकर सामने आया है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 27 जनवरी 2025 को WTC ग्रुप के प्रमोटर आशीष भल्ला और भूटानी ग्रुप के प्रमोटर्स आशीष भूटानी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कार्रवाई की. दिल्ली-एनसीआर में 12 जगहों पर छापे मारे, इसके बाद जब्त दस्तावेज से जो जानकारी सामने आई, उसने मार्केट में नया भूचाल लाया.

ईडी की शुरुआती जांच के मुताबिक भूटानी ग्रुप ने 15 प्रोजेक्ट के लिए कई निवेशकों से 3500 करोड़ रुपये का फंड जुटाया. इसमें से बहुत कम ही डिलीवर किए गए. इन पैसों से सिंगापुर और अमेरिका में प्रॉपर्टी खरीदी गई. इसी तरह डब्ल्यूटीसी ग्रुप के प्रमोटर आशीष भल्ला को गिरफ्तार किया गया है. इन पर भी करोड़ों रुपये के फ्रॉड के आरोप हैं. नोएडा में डब्ल्यूटीसी के करीब आधा दर्जन प्रोजेक्ट अभी अंडर कंस्ट्रक्शन में है. ईडी ने कंपनी के अकाउंट, एफडी को फ्रीज कर लिया है.

क्या अब बदल जाएगा प्रॉपर्टी मार्केट?
दिल्ली-एनसीआर के प्रॉपर्टी मार्केट में काफी समय के बाद माहौल साफ हुआ था. लेकिन अब एक बार फिर इन दोनों बड़े डेवलपर्स के प्रोजेक्ट अटकने की आशंका बढ़ गई है. इनमें हजारों ग्राहकों का करोड़ों रुपये फंसा हुआ है. दोनों ग्रुप के बीच एक एमओयू भी साइन हुआ था, जिसमें दोनों को मिलकर प्रॉपर्टी डेवलप करनी थी. ईडी के छापों के बाद भूटानी ग्रुप ने अपनी सफाई में बयान जारी करके कहा कि फरवरी में ही उसकी और डब्लयूटीसी की पार्टनरशिप खत्म हो गई थी. दोनों के बीच अब कोई फाइनेंशियल और ऑपरेशनल कनेक्शन नहीं है. वहीं डब्ल्यूटीसी की ओर से इसे लेकर अभी तक कोई बयान सामने नहीं आया है.

मार्केट बदलने के सवाल पर कंसल्टेंसी फर्म प्रॉपइक्विटी का कहना है कि इससे पहले गुरुग्राम में भी M3M India डेवलपर्स के दो प्रमोटर्स को गिरफ्तार किया गया था. लेकिन इससे गुरुग्राम के मार्केट में कोई खास फर्क नहीं आया. ऐसे में भूटानी और डब्ल्यूटीसी केस से भी मार्केट में बहुत ज्यादा बड़ा भूचाल आने की संभावना कम है. हालांकि इस सेगमेंट में थोड़ी गति धीमी पड़ सकती है.