सरकार ने कॉन्ट्रैक्टर्स सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए बैन को लेकर नियमों में बदलाव किया है. नए नियम के तहत अगर कोई कॉन्ट्रैक्टर किसी विभाग और मंत्रालय के कामकाज को ठीक से नहीं करता है तो संबंधित मंत्रालय उस कॉन्ट्रैक्टर को आगे से बैन की लिस्ट में शामिल करेगा. हालांकि, यह बैन दूसरे विभाग और मंत्रालयों पर लागू नहीं होगा. आसान शब्दों में वह कॉन्ट्रैक्टर दूसरे मंत्रालय और अन्य विभागों के साथ काम जारी रख सकता है.
अगर कोई विभाग या मंत्रालय चाहता है कि अमुक कॉन्ट्रैक्टर या सर्विस प्रोवाइडर आगे से किसी भी मंत्रालय या सरकारी विभाग के लिए काम नहीं करे तो उसे इस संबंध में वित्त मंत्रालय को सूचना देनी होगी. उसके बाद वित्त मंत्रालय इस मुद्दे पर विचार करेगा और अगर उसे इस शिकायत में दम लगता है तो वह अमुक कॉन्ट्रैक्टर या सर्विस प्रोवाइडर को बैन को लेकर सभी विभागों को निर्देश जारी करेगा. बैन को लेकर ताजा नियम कॉन्ट्रैक्टर और सर्विस प्रोवाइडर के लिए बड़ी राहत की खबर है.
बैन अधिकतम 2 सालों के लिए हो सकता है
वर्तमान नियम के मुताबिक, अगर कोई मंत्रालय किसी कॉन्ट्रैक्टर या सर्विस प्रोवाइडर को एकबार बैन कर दे तो वह आगे से किसी भी मंत्रालय की तरफ से आयोजित बोली में शामिल नहीं हो सकता है. नियम में बदलाव को लेकर सर्कुलर डिपार्टमेंट ऑफ एक्सपेंडिचर की तरफ से जारी किया गया है. नए सर्कुलर के मुताबिक, किसी मंत्रालय का सेक्रेटरी कॉम्पीटेंट अथॉरिटी के तौर पर किसी ज्वाइंट सेक्रेटरी या एडिशनल सेक्रेटरी को नियुक्त कर सकता है. वह अधिकारी किसी भी सर्विस प्रोवाइडर को बैन करने को लेकर फैसला ले सकता है. यह बैन अधिकतम दो सालों के लिए ही हो सकता है.
QCBS सिस्टम को लाया गया था
इससे पहले वित्त मंत्रालय ने प्रोक्योरमेंट ऑफ वर्क्स एंड सर्विस क्वॉलिटी कम कॉस्ट बेस्ड सलेक्शन (QCBS) को लेकर नियमों में बदलाव किया था. उसमें कहा गया था कि क्वॉलिटी के आधार पर प्रस्ताव का मूल्यांकन किया जा सकता है. QCBS को पूर्व के L1 सिस्टम के ऑल्टरनेट के रूप में लाया गया है.
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