नई दिल्ली: जापान का ट्रेन यातायात सिस्टम (Japan Train) दुनिया भर में अपनी सटीक टाइमिंग के लिए मशहूर है. यहां ट्रेनों का लेट होना बेहद दुर्लभ है. ट्रेन का एक मिनट भी लेट होना जापान में सुर्खियां बन जाता है. ऐसे में जब ड्राइवर की गलती से एक ट्रेन बमुश्किल मिनट भर लेट हुई तो उसकी सैलरी (Salary) से 56 पाउंड (करीब साढ़े 5 हजार) काट लेने का आदेश जारी हुआ.
इस आदेश के खिलाफ ट्रेन ड्राइवर (Train Driver) ने कोर्ट का रुख किया और 14,300 पाउंड यानी 14 लाख रुपये मुआवजे की मांग कर दी. अब इस ड्राइवर के समर्थन में दूसरे लोग भी आ गए हैं. आइए जानते हैं पूरा मामला.
ट्रेन एक मिनट लेट तो कंपनी काटी सैलरी!
‘डेली मेल’ की रिपोर्ट के मुताबिक, ड्राइवर पिछले साल 18 जून को ओकायामा स्टेशन (Okayama Station) पर एक खाली ट्रेन ले जाने के लिए निकला था. इस बीच अचानक उसे पेट में दर्द हुआ तो वह बाथरूम चला गया. उसने अपने जूनियर ड्राइवर को कार्यभार सौंप दिया, लेकिन उसने ट्रेन गलत प्लेटफॉर्म पर चला दी. इसके चलते ट्रेन एक मिनट लेट हो गई. यानी कि ट्रेन के प्रस्थान और आगमन दोनों में एक-एक मिनट की देरी हुई. जिसके कारण वेस्ट जापान रेलवे कंपनी (West Japan Railway Company) ने उसकी जुलाई की सैलरी में 5,600 की कटौती की.
लेबर कोर्ट पहुंच गया ड्राइवर कंपनी ने
दो मिनट की देरी के लिए कटौती को सही ठहराते हुए कहा कि इस दौरान ‘कोई श्रम नहीं किया गया’. इस फैसले के खिलाफ ड्राइवर ओकायामा लेबर स्टैंडर्ड इंस्पेक्शन ऑफिस पहुंच गया. जहां कंपनी ने ट्रेन में हुई देरी के समय को दो मिनट से एक मिनट कर दिया और जुर्माना घटाकर 28 पाउंड कर दिया. लेकिन ड्राइवर ने इसे मानने से इनकार कर दिया. उसने तर्क दिया कि ट्रेन के लेट होने कारण समय सारिणी में कोई व्यवधान नहीं हुआ था.
कोर्ट में दायर किया केस
इसके बाद ट्रेन ड्राइवर ने मामले को ओकायामा जिला न्यायालय में ले जाने का फैसला किया. उसने एक मिनट की देरी के लिए जो उसपर जुर्माना लगाया है उसके खिलाफ मुआवजे की मांग की. उसने अपनी छवि, ओवरटाइम में कटौती, मानसिक पीड़ा, नौकरी में आई दिक्कतों आदि का जिक्र करते हुए कंपनी से 14 लाख रुपये मुआवजा दिलाने की मांग की. हालांकि, कंपनी ने वेतन कटौती के पीछे अपने ‘काम नहीं, वेतन नहीं सिद्धांत’ का हवाला दिया. वहीं ड्राइवर ने कंपनी पर ‘मानवीय त्रुटि के लिए वेतन कटौती को “प्रतिबंध” के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया, और कहा कि एक छोटी सी गलती को अनुबंध का उल्लंघन नहीं माना जाना चाहिए. फिलहाल मामला कोर्ट में अभी भी चल रहा है. उधर जापान में कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने ड्राइवर का पक्ष लिया. एक यूजर ने लिखा- ‘हर कोई गलती करता है.’ तो एक अन्य यूजर ने कहा- ‘वेतन में कटौती तब तक नहीं की जानी चाहिए जब तक कि यह कोई बड़ी बात न हो.’ एक ने कहा कि अगर यह सामान्य हो जाता है, तो गलतियों के कारण मजदूरी में कटौती अन्य सेक्टर में भी फैल जाएगी.
[metaslider id="347522"]