माकपा ने प्रबंधन के पाले में डाली गेंद : घेराव स्थगित, लेकिन पहलकदमी न होने पर खदान बंदी पर अड़ी माकपा, ठुकराया प्रबंधन का ठेका प्रस्ताव, कहा स्थायी रोजगार ही एकमात्र हल

कोरबा। एसईसीएल के गेवरा प्रबंधन द्वारा 11 सूत्रीय मांगपत्र पर सकारात्मक वार्ता के बाद माकपा और किसान सभा ने कल महाप्रबंधक कार्यालय के घेराव को स्थगित करने की घोषणा करते हुए गेंद प्रबंधन के पाले में डाल दी है। पार्टी ने कहा है कि यदि प्रबंधन 15 दिनों के अंदर वार्ता में बनी सहमति के अनुसार ठोस पहलकदमी नहीं करेगा, तो 25 नवंबर को प्रस्तावित गेवरा खदान बंद आंदोलन होकर रहेगा।

उल्लेखनीय है कि विस्थापित और पुनर्वास ग्रामों में बसाहट की समस्या एवं भू विस्थापितों के रोजगार और मुआवजे के सवाल पर 11 सूत्रीय मांगों को लेकर गेवरा महाप्रबंधक कार्यालय को घेरने की चेतावनी दी थी। इसे गंभीरता से लेते हुए गेवरा महाप्रबंधक एस के मोहंती ने चर्चा के लिए माकपा और किसान सभा के साथ प्रभावित भू-विस्थापितों को वार्ता के लिए बुलाया। वार्ता में एसईसीएल की ओर से गेवरा महाप्रबंधक मोहंती के साथ कार्मिक प्रबंधक वेंकटेश्वर लू और एल एंड आर अमिताभ तिवारी ने हिस्सा लिया, जबकि माकपा और किसान सभा की ओर से प्रशांत झा, हुसैन, जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू, संजय यादव, जय कौशिक और भू-विस्थापित संघ के राधेश्याम कश्यप, पुरषोत्तम, बग्गू सिंह ठाकुर, नंदू सिंह, रामकृष्ण व जगदीश ने हिस्सा लिया। वार्ता एसईसीएल गेवरा के सभाकक्ष में हुई। बैठक में भिलाई बाजार, भढौरा, बरभांटा, नरईबोध तथा गंगानगर के प्रभावित किसान भी उपस्थित थे।

माकपा जिला सचिव प्रशांत झा ने बताया कि बैठक में 11 सूत्रीय मांगो पर विस्तार से चर्चा हुई। एसईसीएल ने विस्थापन प्रभावितों को ठेका देने की बात कही, जिसका माकपा और किसान सभा ने विरोध किया तथा कहा कि प्रभावित खातेदारों को स्थाई रोजगार देना ही समस्या का एकमात्र हल है। इस पर प्रबंधन ने एक माह का समय मांगा है। इसी प्रकार प्रबंधन ने भू-विस्थापित परिवारों के सभी सदस्यों को गुलाबी पर्ची बनाकर देने और क्षेत्रीय अस्पतालों में उनके निःशुल्क उपचार का प्रबंध करने की बात कही है। पुनर्वास ग्राम गंगानगर में तोड़े गये मकानों और शौचालयों का क्षतिपूर्ति का सर्वे शीघ्र शुरू करने और उन्हें मुआवजा देने की बात भी प्रबंधन को माननी पड़ी है।

किसान सभा नेता जवाहर सिंह कंवर और दीपक साहू ने बताया कि पुराने लंबित रोजगार प्रकरणों की जांच कर तत्काल निराकरण करने, सभी प्रभावितों को वर्तमान दर पर मुआवजा और पूर्ण विकसित बसाहट देने, खनन प्रभावित ग्रामों तथा पुनर्वास ग्रामों में पेयजल, तालाब, निस्तारी आदि बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने और सभी भू-विस्थापित परिवारों को विस्थापन प्रमाण पत्र देने की बात भी एसईसीएल प्रबंधन द्वारा सैद्धांतिक तौर पर मानी गई है।

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