नक्सल प्रभावित छोटेडोंगर में सोलर परियोजना घोटाला: ग्रामीणों का आरोप- विकास कार्यों के नाम पर लाखों की हेराफेरी, फर्जी दस्तावेजों से भुगतान, प्रशासन मौन!

नारायणपुर – विकास के नाम पर लाखों रुपये खर्च करने का दावा करने वाली प्रशासन की पोल खोलने वाला मामला ग्राम पंचायत छोटेडोंगर में सामने आया है। नक्सल प्रभावित इस क्षेत्र में आदिवासियों के विकास के लिए केंद्र और राज्य सरकारें लगातार वित्तीय सहायता भेजती हैं, ताकि इस पिछड़े इलाके के लोग मुख्यधारा में आ सकें। लेकिन भ्रष्टाचार का भेड़ियाधसान ऐसा है कि विकास कार्यों की राशि जरूरतमंदों तक पहुंचने की बजाय कुछ भ्रष्ट अधिकारियों और ठेकेदारों की जेबों में समा जाती है।दरसअल ग्राम पंचायत छोटेडोंगर में सोलर लाइट और सोलर पंप लगाने के नाम पर 15वें वित्त आयोग की राशि का जमकर दुरुपयोग किया गया। ग्रामीणों का आरोप है कि पंचायत ने इस कार्य के लिए लाखों रुपये जारी किए, लेकिन जमीनी स्तर पर कार्य मानकों के अनुरूप नहीं हुआ। सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि इस घोटाले में फर्जी दस्तावेज बना कर संदिग्ध तरीके से भुगतान किया गया।

छोटेडोंगर के ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव में शाशकीय राशि का सोलर लाइट और सोलर पंप लगाने के नाम पर जमकर बंदरबांट हुआ है।ग्रामीणों यह भी कहना है कि पंचायत सचिव और ठेकेदारों की मिलीभगत से यह सारा घोटाला हुआ। जब इस बारे में प्रशासन से शिकायत की गई, तो कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।अब ऐसे में सवाल उठता है कि क्या प्रशासन भी इस भ्रष्टाचार में शामिल है?

इस फर्जीवाड़े का खुलासा तब हुआ जब एक आरटीआई कार्यकर्ता ने सूचना का अधिकार (RTI) के तहत इस परियोजना से जुड़े दस्तावेजों की मांग की। वहीं पंचायत ने जो कागजात दिए, उनमें कई गंभीर खामियां पाई गईं, सबसे पहले तो क्रेडा विभाग नारायणपुर का टेक्निकल सेक्शन (TS) फर्जी निकला।दस्तावेज में कोई दिनांक नहीं है। और उप अभियंता, क्रेडा जिला नारायणपुर का सील लगा हुआ है, लेकिन दस्तावेज की सत्यता संदिग्ध था। उक्त दस्तावेज में सचिव और सरपंच के हस्ताक्षर और मुहर लगी हुई है।और इसी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर किया गया लाखों रुपये का भुगतान।टीएस के अनुसार, 1000 लीटर का वाटर टैंक और 900 वॉट क्षमता का सोलर पंप लगाया जाना था।इस पर 5,80,484 रुपये की लागत दिखाई गई, लेकिन हकीकत में कार्य मानकों के विपरीत किया गया।जब इस टीएस की पुष्टि के लिए क्रेडा विभाग के अधिकारी रामकुमार ध्रुव से नवंबर 2024 में जब सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा स्पष्ट रूप से टीएस उनके कार्यालय से जारी नही किया गया कहते हुए उक्त टीएस को अमान्य बताया साथ उन्होंने यह भी कहा जिला कार्यालय टीएस जारी करने के लिए अधिकृत नही है,टीएस रीजनल अथवा हेड ऑफिस से मंगवाया जाता है।

इस टीएस के आधार पर मई 2024 में लाखों रुपये के बिल पास किए गए।जिनमे तीन बिलों में से प्रत्येक 3 लाख रु का है।और एक बिल दो लाख साठ हजार रुपये का है।यह सभी बिल एक ही फर्म माजीसा इंटरप्राइजेज के हैं।इन सभी बिलों पर बिना जांच के भुगतान कर दिया गया।जब इस पर पंचायत सचिव विनोद गावड़े से सवाल किया गया, तो उन्होंने सारा दोष ठेकेदार पर डालते हुए पल्ला झाड़ते हुए कहा उक्त टीएस माजीसा इंटरप्राइजेज द्वारा दिया गया था जिस पर क्रेडा विभाग नारायणपुर का सील लगा हुआ था जिसे आधार मानकर हमने भुगतान कर दिया।

अब सवाल यह उठता है कि क्या पंचायत सचिव की यह ज़िम्मेदारी नहीं थी कि वह भुगतान से पहले दस्तावेजों की जांच करे? वहीं इस जब मामले पर वर्तमान पंचायत सचिव पवन कुलदीप से सवाल पूछा गया, तो उन्होंने इसे पिछले कार्यकाल का मामला बताते हुए खुद को इससे अलग कर लिया।वहीं जनपद पंचायत नारायणपुर सीईओ एल एन पटेल ने कहा मामले पर अब तक उन्हें लिखित शिकायत नही मिली है , शिकायत मिलने पर जाँच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

जानकारी के मुताबिक, यह घोटाला सिर्फ छोटेडोंगर में ही नहीं हुआ, बल्कि जिले के कई अन्य पंचायतों में भी इसी तरह से 15वें वित्त आयोग की राशि का दुरुपयोग किया गया है। वहीं कुछ ही माह पूर्व 15वें वित्त की राशि का दुरुपयोग मामले पर नवंबर 2024 को भाजपा कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम शिकायत दर्ज कराई थी।लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नजर नही आया वहीं छोटेडोंगर के ग्रामीणों ने भी उच्च स्तरीय जांच की मांग की। लेकिन अब तक इस मामले में किसी पर भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई।स्थानीय ग्रामीण उमेश जायसवाल ने कहा शाशकीय राशि का जमकर बंदरबांट हुआ है इस पर जांच कर कार्रवाई की जानी चाहिए व गांव के विकास के लिए आये पैसों से गाँव मे विकास होना चाहिये न कि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़नी चाहिए। ग्रामीण मांग कर रहे हैं कि- इस घोटाले की उच्च स्तरीय जांच हो,भ्रष्ट अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर घोटाले की पूरी जानकारी उपलब्ध है, तो दोषियों पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं हुई?क्या प्रशासन के बड़े अधिकारी भी इसमें शामिल हैं?क्या इस मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है?क्या छोटेडोंगर के लोगों को न्याय मिलेगा?न्याय होगा तो कब होगा, कब होगा असली विकास?

छोटेडोंगर और अन्य प्रभावित पंचायतों के लोग अब भी वास्तविक विकास और न्याय का इंतजार कर रहे हैं। क्या प्रशासन इस घोटाले पर कोई ठोस कार्रवाई करेगी, या फिर यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा? अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाएगा। क्या गांव के विकास के लिए आई राशि का सही उपयोग होगा, या फिर यह भी कागजों तक ही सीमित रह जाएगा? क्या दोषियों पर कार्रवाई होगी?छोटेडोंगर और अन्य प्रभावित पंचायतों के लोग अब भी असली विकास का इंतजार कर रहे हैं।