Bhai Dooj 2021: भाइयों की लंबी उम्र के लिए मनाया जाता है भैया दूज, यहां पढ़ें त्योहार का पौराणिक महत्व और कथा

आज देशभर में भाई-बहनों का पवित्र त्योहार भाई दूज मनाया जा रहा है. शास्त्रों के अनुसार भाई दूज को यम द्वितीया भी कहते हैं. इस दिन बहनें भाई को तिलक लगाकर, उन्हें लंबी उम्र का आशीष देती हैं और इस दिन मृत्यु के देवता यमराज का पूजन किया जाता है. ब्रजमंडल में इस दिन बहनें यमुना नदी में खड़े होकर भाइयों को तिलक लगाती हैं.

भाई दूज को भ्रातृ द्वितीया भी कहते हैं. इस पर्व का मुख्य उद्देश्य भाई तथा बहन के पावन संबंध व प्रेमभाव की स्थापना करना है. इस दिन बहनें बेरी पूजन भी करती हैं. इस दिन बहनें, भाइयों के स्वस्थ तथा दीर्घायु होने की मंगल कामना करके तिलक लगाती हैं. इस दिन बहनें, भाइयों को तेल मलकर गंगा-यमुना में स्नान भी कराती हैं. यदि गंगा-यमुना में नहाया न जा सके तो भाई को बहन के घर नहाना चाहिए.

भाई को अपने हाथ से भोजन कराना श्रेष्ठ

यदि बहन अपने हाथ से भाई को भोजन कराए तो भाई की उम्र बढ़ती है और जीवन के कष्ट दूर होते हैं. इस दिन बहनें अपने भाइयों को चावल खिलाएं. इस दिन बहन के घर भोजन करने का विशेष महत्व है. बहन चचेरी अथवा ममेरी कोई भी हो सकती है. यदि कोई बहन न हो तो गाय, नदी आदि स्त्रीत्व पदार्थ का ध्यान करके अथवा उसके समीप बैठकर भोजन कर लेना भी शुभ माना जाता है.

इस पूजा में भाई की हथेली पर बहनें चावल का घोल भी लगाती हैं उसके ऊपर सिन्दूर लगाकर कद्दू के फूल, पान, सुपारी मुद्रा आदि हाथों पर रखकर धीरे-धीरे पानी हाथों पर छोड़ते हुए निम्न मंत्र बोलती हैं- गंगा पूजे यमुना को यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजा कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े

इसी प्रकार इस मंत्र के साथ हथेली की पूजा की जाती है- ”सांप काटे, बाघ काटे, बिच्छू काटे जो काटे सो आज काटे”.

इस तरह के शब्द इसलिए कहे जाते हैं क्योंकि ऐसी मान्यता है कि आज के दिन अगर भयंकर पशु काट भी ले तो यमराज के दूत भाई के प्राण नहीं ले जाएंगे. कहीं कहीं इस दिन बहनें भाई के सिर पर तिलक लगाकर उनकी आरती उतारती हैं और फिर हथेली में कलावा बांधती हैं. भाई का मुंह मीठा करने के लिए उन्हें माखन मिश्री खिलाती हैं. संध्या के समय बहनें यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर घर के बाहर रखती हैं. इस समय ऊपर आसमान में चील उड़ता दिखाई दे तो बहुत ही शुभ माना जाता है. इस सन्दर्भ में मान्यता यह है कि बहनें भाई की आयु के लिए जो दुआ मांग रही हैं उसे यमराज ने स्वीकार कर लिया है या चील जाकर यमराज को बहनों का संदेश सुनाएगा.

भैया दूज की कथा

भगवान सूर्य नारायण की पत्नी का नाम छाया था. उनकी कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ था. यमुना यमराज से बड़ा स्नेह करती थी. वह उससे बराबर निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो. अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालता रहा. कार्तिक शुक्ल का दिन आया. यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया.

यमराज ने सोचा कि मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं. मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता. बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है. बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया. यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उसने स्नान कर पूजन करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया. यमुना द्वारा किए गए आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन को वर मांगने का आदेश दिया.

यमुना ने कहा कि हे भद्र! आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो. मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करे, उसे तुम्हारा भय न रहे. यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमलोक की राह की. इसी दिन से पर्व की परम्परा बनी. ऐसी मान्यता है कि जो आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता. इसीलिए भैयादूज को यमराज तथा यमुना का पूजन किया जाता है.

भाई दूज तिलक मुहूर्त

द्वितीय तिथि प्रारंभ 5 नवंबर की रात्रि 11:23 बजे से, द्वितीया तिथि समाप्त 6 नवंबर की शाम 07:44 बजे तक. भाई दूज तिलक मुहूर्त दिन प्रातः 8:00 से 9:30 बजे तक “शुभ” का चौघडिया मुहूर्त (6 नवंबर 2021).

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