नोटबंदी की तरह अचानक नहीं होगी,शराबबंदी पर बोले आबकारी मंत्री

छत्तीसगढ़ 21 अक्टूबर (वेदांत समाचार) की सत्ता में आई कांग्रेस शराब पर प्रतिबंध लगाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है। जबकि विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में कांग्रेस ने पूर्ण शराबबंदी का वादा किया था। अब वाणिज्य, उद्योग और आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने नया तर्क दिया है। उन्होंने गुरुवार को कहा, यहां नोटबंदी की तरह अचानक शराबबंदी नहीं होगी, इसलिए देर हो रही है।

“मंत्री से मिलिए’ कार्यक्रम के लिए कांग्रेस के प्रदेश मुख्यालय राजीव भवन पहुंचे मंत्री कवासी लखमा से शराबबंदी के वादे पर सवाल हुए। कवासी लखमा ने कहा, बस्तर-सरगुजा में आदिवासी हैं। वे पूजा-पाठ में शराब का उपयोग करते हैं। शराबबंदी का मामला आदिवासी क्षेत्र में कैसे करना है यह भी देखना होगा, इसलिए सरकार ने वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा की अध्यक्षता में एक समिति बनाई है। इसमें विधायक दल के लोग भी हैं। सामाजिक संगठनों की भी बारी-बारी से मीटिंग हो रही है। उनसे जो सुझाव आएगा उसके आधार पर शराबबंदी होगी। नोटबंदी की तरह तुरंत नशाबंदी नहीं होगी।

उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ चार राज्यों से घिरा हुआ है। ये तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश हैं। आबकारी मंत्री ने कहा, यहां किसान, मजदूर कई तरह के लोग रहते हैं। सरकार कोशिश कर रही है कि शराब बंद होने से किसको किस प्रकार का नुकसान होगा, उसका अनुमान लगा लिया जाए। इसको बस्तर में कैसे करना है, सरगुजा में कैसे करना है। उन्होंने कहा, पांचवीं अनुसूची वाले क्षेत्रों में पंचायत अनुमति देती है या नहीं इसको भी देखना होगा।

राज्य सरकार ने शराबबंदी लागू करने के तरीकों और प्रभावों का अध्ययन करने के लिए 2019 में दो समितियां बनाई थीं। पहली राजनीतिक समिति थी, जिसमें कांग्रेस विधायक सत्यनारायण शर्मा की अध्यक्षता में सभी दलों के विधायकों को शामिल किया जाना था। कई महीनों तक भाजपा ने किसी विधायक का नाम ही नहीं भेजा तो यह समिति काम शुरू नहीं कर पाई। सामाजिक संगठनों और समाज के प्रतिनिधियों की समिति बनी तो एक महीने पहले उसकी पहली बैठक हो पाई।

दोनों समितियों ने पूर्व में शराबबंदी लागू कर चुके प्रदेशों में अध्ययन दल भेजने का फैसला किया है। इसमें उन प्रदेशों का अध्ययन भी शामिल है, जहां शराबबंदी लागू थी, लेकिन बाद में शराब बिक्री से प्रतिबंध हटा लिया गया। समितियों का तर्क था, इस अध्ययन के जरिए शराबबंदी के सामाजिक-आर्थिक प्रभावों का पता चलेगा। इससे यहां प्रभावी शराबबंदी लागू करने में आसानी होगी। अभी तक आबकारी विभाग इस अध्ययन यात्रा की औपचारिक तैयारी भी शुरू नहीं कर पाया है।

[metaslider id="122584"]
[metaslider id="347522"]