हाईकोर्ट ने BCCI अध्‍यक्ष सौरव गांगुली पर लगाया 10 हजार का जुर्माना, जानें पूरा मामला

बीसीसीआई (BCCI) अध्‍यक्ष और पूर्व कप्तान सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने 10 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. सौरव गांगुली के साथ ही बंगाल सरकार और उसके आवास निगम हिडको (HIDCO) पर भी 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है. मामला गलत तरह से जमीन आवंटन का है. हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायाधीश अरिजित बनर्जी की बेंच ने सोमवार को जनहित याचिका पर सुनवाई की और कहा कि जमीन आवंटन के मामलों में निश्चित नीति होनी चाहिए. ताकि सरकार ऐसे मामलों में दखल न दे सके.

बता दें कि सौरव गांगुली को क्रिकेट अकादमी खोलने के लिए बंगाल सरकार के आवास निगम हुडको ने सॉल्टलेक के सीए ब्लॉक में जमीन दी थी. हालांकि इस पर हुए विवाद के बाद सौरव गांगुली ने भी जमीन लौटा दी थी. लेकिन इस बीच उस जमीन के साथ कानूनी पेचीदगियां पैदा हो गईं. आरोप लगाया गया कि जमीन के लिए टेंडर आमंत्रित नहीं किया गया था. जमीन बिना टेंडर के ही सौरव गांगुली को दे दी गई थी. सॉल्टलेक ह्यूमैनिटी’ नाम की एक स्वयंसेवी संस्था ने राज्य सरकार के खिलाफ मामला दर्ज कराया था. उस मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह जर्माना लगाया.

2.5 एकड़ जमीन के आवंटन का मामला

दरअसल, साल 2011 में सौरव गांगुली की शिक्षण संस्‍था को बंगाल सरकार ने कोलकाता के न्‍यू टाउन एरिया में नियमों के विपरीत जमीन दी थी. जनहित याचिका में बीसीसीआई अध्‍यक्ष और गांगुली एजुकेशन एंड वेलफेयर सोसायटी को स्‍कूल के लिए आवंटित 2.5 एकड़ जमीन पर सवाल खड़ा किया गया था. पीठ ने कहा कि देश हमेशा खिलाड़ियों के लिए खड़ा होता है. खासकर जो इंटरनेशनल स्‍तर पर देश का प्रतिनिधित्‍व करते हैं. यह सच है कि सौरव गांगुली ने क्रिकेट में देश का नाम रोशन किया है, लेकिन जब बात कानून और नियमों की आती है तो संविधान में सब समान है. कोई भी उससे ऊपर होने का दावा नहीं कर सकता. साल 2016 में इस जमीन के आवंटन को चुनौती देते हुए जनहित याचिका दायर की गई थी.

मामला दायर होने के बाद सौरव ने लौटा दी थी जमीन

मामला सबसे पहले कलकत्ता हाई कोर्ट में आया था. सौरव गांगुली ने तब कानूनी परेशानी से बचने के लिए जमीन वापस करने का फैसला किया और उसे भी लौटा दिया था. फिर दूसरी जमान देने का प्रस्ताव दिया गया था. उसके खिलाफ फिर से हाईकोर्ट में केस दर्ज कराया गया था. दावा किया गया कि इस मामले में भी सौरव को बिना टेंडर और कम कीमत पर जमीन दी गई थी. इस कानूनी परेशानी के बाद सौरव ने जमीन लौटा दी थी.

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