नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘कक्षा’ में मंगलवार को मंत्रियों ने भ्रष्टाचार से बचने का पाठ पढ़ा। प्रधानमंत्री ने कई उदाहरणों के जरिए मंत्रियों को भ्रष्टाचार से पहचानने और इससे निपटने के टिप्स दिए। उन्होंने कहा कि अगर आंध्रप्रदेश का सांसद कर्नाटक के सीएम को गोवा के किसी व्यक्ति के लिए पत्र लिखे तो समझिये कुछ गड़बड़ है। मंत्रियों की इस कार्यशाला को चिंतन सत्र का नाम दिया गया है।
राष्ट्रपति भवन के ऑडिटोरियम में आयोजित करीब चार घंटे लंबे चिंतन सत्र में पीएम ने समापन भाषण दिया। उन्होंने खासतौर पर जूनियर मंत्रियों को भ्रष्टाचार के प्रति आगाह किया और इसे पहचानने के टिप्स दिए। बैठक में मौजूद एक मंत्री ने बताया कि इस दौरान पीएम ने कहा, कई बार सांसद-विधायक एक ही उद्योगपति के हित में अपने निजी लाभ और खास उद्देश्य से बार-बार पत्र लिखते हैं। मंत्रियों को न सिर्फ ऐसे पत्रों पर निगाह रखनी चाहिए, बल्कि संबंधित सांसदों-विधायकों को आगाह भी करना चाहिए।
सुशासन को बनाएं मंत्र
पीएम ने इस दौरान कहा कि सभी मंत्री सुशासन को मंत्र बनाएं। गरीबों के लिए शुरू की गई योजनाओं को सही व्यक्ति तक पहुंचाने का हर संभव प्रयास करें। इसकी समय-समय पर और लगातार निगरानी करें। उन्होंने कहा कि सरकार के सामने गरीबों-वंचितों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने का लक्ष्य और अवसर है। इसमें अगर चूक हुई तो इतिहास हमें माफ नहीं करेगा।
प्रधान-मंडाविया ने दिया 10 प्वाइंट प्रजेंटेशन
कार्यशाला के दौरान केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और मनसुख भाई मंडाविया ने भी 10 प्वाइंट प्रजेंटेशन दिया। इसमें पांच प्वाइंट की व्याख्या प्रधान ने तो इतने की ही व्याख्या मंडाविया ने की। प्रधान ने बैठक संबंधी अनुरोध, बैठक कर कार्यों की समीक्षा, मंत्रियों के दौरों को प्रासांगिक बनाने, निजी स्टाफ को पेशेवर बनाने के टिप्स दिए, जबकि मंडाविया ने समय का प्रबंधन, पत्रों के उत्तर देने, मंत्रालय के अधिकारियों से संवाद करने, समय का उचित प्रबंधन करने और तकनीक का बेहतर इस्तेमाल करने के टिप्स दिए।
सात चिंतन सत्र और होंगे आयोजित
सरकार की योजना निकट भविष्य में प्रशासनिक कामकाज में तेजी लाने, जूनियर मंत्रियों की समझ बढ़ाने के लिए इस तरह के सात और चिंतन सत्र का आयोजन करने की है। अगले चिंतिन शिविर में मंत्रियों के कामकाज के साथ योजनाओं की समीक्षा भी की जाएगी।
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