जशपुर/ लंबे समय से कुपोषण का दंश झेल रहे राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाले विशेष संरक्षित पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा बच्ची की मौत ने कुपोषण के विरुद्ध चलाए जा रहे तमाम दावों पर सवालिया निशान लगते हुए शासन प्रशासन को कटघरे में लाकर खड़े कर दिया है।इस झकझोर देने वाली घटना ने न केवल सुपोषण अभियान बल्कि कुपोषण के विरुद्ध कार्य करने वाले जमीनी जिम्मेदारों की पोल खोल कर रख दी है।
यूँ तो हर गली मोहल्ले में आज कुपोषित बच्चों की पहचान की जाती है।महिला बाल विकास विभाग एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा शासन की योजनाओं के तहत उन्हें पोषण आहार के साथ सुपोषित भोजन दिया जाता है।अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि मृतक पहाड़ी कोरवा बच्ची लंबे समय से कुपोषित क्यों थी उसका कुपोषण दूर क्यों नहीं किया जा सका।महिला बाल विकास एवं स्वास्थ्य विभाग की भूमिका यहां क्यों देखने को नहीं मिली।कुपोषण दूर करने के दावे कागजों तक सीमित क्यों रह गए..? तमाम ऐसे सवाल हैं जो मृतिका पद्मा पुछ रही है।
मामला है जशपुर जिले के नगर पंचायत बगीचा के वार्ड 10 का जहां पहाड़ी कोरवा बस्ती में सनु कोरवा अपने 5 कुपोषित बच्चों के साथ जीवन यापन करता है।जिसमें से एक बच्ची पद्मा सोमवार को कुपोषण से लड़ते हुए जिंदगी की जंग हार गई।आपको बता दें कि 1 हफ्ते पहले भी ईलाज के अभाव में इसी बस्ती की एक वृद्ध महिला की मौत हो गई थी।
दरअसल लंबे समय से सनु कोरवा का परिवार कुपोषित बच्चों का दंश झेल रहा है।15 वर्षीय पद्मा भी लंबे समय से कुपोषण का शिकार थी।4 दिन पहले पहाड़ी कोरवा बच्ची की तबियत अधिक खराब हो गई,जिसका शरीर सूजकर पीला पड़ गया था और उसे सांस लेने में काफी दिक्कत हो रही थी।रविवार को उसे उल्टी होने लगी और अगले दिन बुखार ने उसे जकड़ लिया।सोमवार को पीड़ित बच्ची की सांसें तेज चलने लगी और परिजन स्थानीय लोगों की मदद से बच्ची को बगीचा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पँहुचे जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के बीएमओ आरएन दुबे ने बताया कि बच्ची के शरीर में खून की कमी थी और उसे उल्टी व बुखार की शिकायत थी,यहाँ लाते तक उसकी मौत हो चुकी थी।वार्डों में स्वास्थ्य टीम भेजकर सघन जांच कराई जाएगी।
दो दिन पहले शव वाहन को लेकर मचे बवाल के बाद बीएमओ आरएन दुबे ने पुरी जिम्मेदारी से रात के 11 बजे शव वाहन की व्यवस्था की और तत्काल शव को गृहग्राम भिजवाया।
वार्ड पार्षद श्रीमती प्रेरणा थवाईत ने बताया कि उन्हें रात में सूचना मिली जिंसके बाद उन्होंने तत्काल परिजनों से मुलाकात की और सहायता राशि देकर देर रात 12 बजे शव के साथ परिजनों को उनके गृहग्राम ब्लादर पाठ रवाना किया।
उन्होंने बताया कि यहां और भी बच्चे कुपोषित हैं जिनका सर्वे कर उन्हें पोषित करना आवश्यक है।उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि एक हफ्ते में यह पहाड़ी कोरवा परिवार से दूसरी मौत है।इसके पूर्व एक पहाड़ी कोरवा वृद्ध महिला ने ईलाज के अभाव में दम तोड़ दिया था।उक्त बस्ती के साथ विभिन्न वार्डों में स्वास्थ्य जांच कराते हुए उपचार की पहल प्रशासन को करनी चाहिए।उन्होंने कहा कुपोषण के खिलाफ कागजी कार्यवाही से हटकर जमीनी स्तर पर इसे दुरुस्त करने की आवश्यकता है।
फिलहाल मृतिका पद्मा ने अपने पीछे कई सवाल छोड़ दिए हैं।जिसका जवाब किसी के पास नहीं है।अब देखना होगा कि शासन प्रशासन कुपोषण के विरुद्ध जमीनी व्यवस्था को कब मजबूत करता है ताकि फिर किसी पद्मा की मौत न हो और उसे ईलाज की जरुरत न पड़े।पीड़ित परिवार मृतिका के अंतिम संस्कार के लिए गृहग्राम ब्लादर पाठ रवाना हो गया है।
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