जबलपुर । जिले की तहसीलों में पदस्थ 40 कंप्यूटर आपरेटरों की नौकरी खतरे में आ गई है। ई-गवर्नेंस की आय कम होने के कारण कंप्यूटर आपरेटरों की संख्या कम करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि कोरोना संक्रमण और लाकडाउन के कारण ई-गवर्नेंस की आय घट गई है। ई-गवर्नेंस शाखा द्वारा जारी आदेश में कहा गया कि तहसीलों से आपरेटरों की संख्या कम नहीं की जाती है तो तहसीलदारों की जिम्मेदारी होगी।
कलेक्टर ने दिखाई थी नाराजगी
कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने पिछले दिनों हुई बैठक में कंप्यूटर आपरेटर की नियुक्तियों को लेकर नाराजगी दिखाई थी। कलेक्टर ने कहा था कि जब तहसीलों में काम नहीं है तो फिर इतनी संख्या में कंप्यूटर आपरेटर रखने की क्या जरूरत है। कलेक्टर के निर्देश के बाद ई-गवर्नेंस शाखा ने तहसीलदारों को निर्देश जारी किए थे कि एक या दो कंप्यूटर आपरेटरों से ही काम लिया जाए शेष को अलग कर दिया जाए।
2016 में रखे गए थे कंप्यूटर आपरेटर
लोकसेवा गारंटी सहित अन्य काम बढ़ने से तहसीलों में कंप्यूटर आपरेटर रखने की शुरुआत हुई थी। काम के बोझ को देखते हुए तहसीलदारों ने 2016 में बिना किसी प्रक्रिया के इनकी भर्ती कर ली थी। जिले की 10 तहसील में 4-4 कंप्यूटर आपरेटर रखे गए थे जिनका साढ़े पांच हजार मानदेय दिया जाता है। कोरोना काल में काम न होने के बाद भी सभी कंप्यूटर आपरेटर को मानदेय दिया गया था।
फैक्ट फाइल :
– 2016 में तहसीलों में 40 कंप्यूटर आपरेटर रखे गए थे
– तहसीलों में एक-एक कंप्यूटर आपरेटर विभाग के नियुक्त हैं
– राजस्व और लोकसेवा कार्य का बोझ बढ़ा तो उस वक्त प्राइवेट कंप्यूटर आपरेटर रखे गए थे
– ई-गवर्नेंस सोसाइटी द्वारा इनको वेतन दिया जाता है।
– लोकसेवा में आने वाले राजस्व आवेदन के तहत पांच रुपये की जो राशि मिलती है उससे कंप्यूटर आपरेटर को वेतन दिया जाता था।
लोकसेवा के तहत जो भी सेवाएं है उसमें तहसीलों में काम कम हो गया इसलिए कंप्यूटर आपरेटरों की संख्या को कम किया जा रहा है। अब ये तहसीलों को तय करना है कि वह कितने कंप्यूटर आपरेटरों से काम लेना चाहते हैं।
– चित्रांशु त्रिपाठी, ई-गवर्नेंस जिला प्रबंधक
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