न तलाक हुआ, न पत्नी ने दूसरी शादी की, पति को देना होगा गुजारा भत्ता : बिलासपुर हाईकोर्ट

बिलासपुर. पत्नी और बच्चों को भरण-पोषण की राशि देने से बचने के लिए लगाई गई पति की याचिका पर हाईकोर्ट ने बड़ा आदेश सुनाया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि तलाक व पत्नी की दूसरी शादी के बिना पति भरण-पोषण से मुक्त नहीं हो सकता. हाईकोर्ट के जस्टिस नरेश कुमार चंद्रवंशी के सिंगल बेंच ने पति द्वारा परिवार न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट के इस फैसले से पत्नी और बच्चों को बड़ी राहत मिली है.

मामला बेमेतरा जिले का है. बेमेतरा के अटल विहारी कॉलोनी में रहनेवाली महिला की शादी सिंघौरी के रहनेवाले अनिल वर्मा से हुई थी. शादी के बाद उनके दो बच्चे हुए. इस दौरान पति-पत्नी के बीच विवाद रहने लगा. इसके चलते पति ने पत्नी व बच्चों को घर से निकाल दिया. तब पत्नी अपने बच्चों के साथ मायके में रहने लगी. पति से अलग होने के बाद पत्नी ने अपने व बच्चों के भरण पोषण की राशि की मांग करते हुए धारा 125 के तहत परिवाद दायर कर दिया. जनवरी 2018 में परिवार न्यायालय ने पति अनिल को अपनी पत्नी के भरण पोषण के लिए 15 सौ रुपये और दो बच्चों के लिए एक-एक हजार रुपये देने का आदेश दिया. तब पति अनिल ने बेमेतरा के ही परिवार न्यायालय में धारा 127 के तहत आवेदन पत्र प्रस्तुत किया. इसमें आरोप लगाया कि उसकी पत्नी किसी दूसरे व्यक्ति के साथ रहती है. बतौर साक्ष्य पति ने अन्य व्यक्ति का समझौतानामा भी पेश किया. लेकिन, कोर्ट ने इस आवेदन को अस्वीकार करते हुए खारिज कर दिया.

[metaslider id="122584"]
[metaslider id="347522"]