झारखंड/ सरायकेला . झारखंड के खरसावां के कुम्हारसाई टोला का शिवकुमार कुंभकार अब तीरंदाजी से दूर अपने गांव में पुस्तैनी कार्य कर रहा है। वह अब मिट्टी का बर्तन बनाने का काम कर रहा है। शिवकुमार कुंभकार आगे अपने प्रिय खेल तीरंदाजी को जारी रखना चाहता है,परंतु घर की आर्थिक तंगी उसके मार्ग में बाधा डाल रही है। वह राज्य व राष्ट्रीय स्तर की तीरंदाजी प्रतियोगिता में कई मेडल जीत चुका है।
अगर सरकार से नहीं मिली मदद ..!!
घर की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण शिवकुमार अब तीरंदाजी को छोड़ कर घर के पुस्तैनी व्यवसाय से जुड़ गया है। साथ ही घर के खेती-बाड़ी का काम भी कर रहा है। घर में मां, पिताजी के साथ-साथ तीन भाई व एक बहन भी हैं। पिता भीमसेन कुंभकार (65 वर्ष) भी शारीरिक रुप से कमजोर होते जा रहे हैं। ऐसे में घर चलाने की बड़ी जिम्मेवारी भी अब पिता भीमसेन कुम्हार के साथ-साथ शिवकुमार के ऊपर है। शिवकुमार ने बताया कि पारिवारिक जिम्मेवारी के कारण न चाहते हुए भी वह तीरंदाजी से दूर होता जा रहा है। परिवार वालों के भरण-पोषण की जिम्मेवारी उसके ऊपर है। इस कारण अब वह पूरी तरह से अपने पुस्तैनी व्यवसाय से जुड़ गया है। शिव कुमार के बताया कि सरकार या प्रशासन से सहयोग नहीं मिला तो आगे घर की हालात को देखते हुए न चाहते हुए तीरंदाजी छोड़ना पड़ेगा।
राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर हासिल किए हैं अनेक मेडल
कुम्हारसाई का शिव कुमार करीब 13 साल की आयु से तीरंदाजी कर रहा है। केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा द्वारा खरसावां केदामादिरी मैदान में संचालित तीरंदाजी प्रशिक्षण केंद्र में जाकर शिवकुमार ने वर्ष 2011 में पहली बार प्रशिक्षण लेना शुरु किया था। कोच बीएस राव व हिमांशु मोहंती से प्रशिक्षण लेते हुए एक साल बाद ही शिवकुमार ने पदक पर कब्जा जमाया। वर्ष 2012 में 10वां स्टेट आर्चेरी चैंपियनशीप में स्वर्ण व कांस्य तथा अंतिम बार 2019 में 13 वां स्टेट आर्चेरी चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल समेत कई मेडल जीता है। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक जीत चुका है।
घर में धूल खा रहा है एक लाख का धनुष
तीरंदाज शिवकुमार ने बताया कि वर्ष 2015 में उसे सरकार की ओर से करीब 36 हजार रुपये का रिवार्ड मिला था। इस राशि के साथ-साथ महिला समिति से करीब 60 हजार रुपये का ऋण ले कर शिवकुमार ने एक रिकर्व धनुष खरीदा था। इसकी कीमत करीब एक लाख रुपये है। तीरंदाजी संघ की अध्यक्षा मीरा मुंडा ने अपने स्तर से शिवकुमार को तीर व अन्य खेल उपकरण उपलब्ध कराये थे। शिव कुमार का खरीदा हुआ धनुष अब भी उसके घर में है।