घरेलू व्यापारियों के संगठन CAIT ने बुधवार को ई-फार्मेसी कंपनियों पर कदाचार और नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया तथा सरकार से उनके खिलाफ कार्रवाई करने की अपील की. वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को एक ज्ञापन में कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने कहा कि उसने ऑनलाइन फार्मेसी व्यापार में जारी कदाचार के मुद्दे को दृढ़ता से उठाया है और आरोप लगाया कि ‘‘फार्मेसी और 1एमजी’’ सहित ये कंपनियां औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 के प्रावधानों का उल्लंघन कर रही हैं.
CAIT ने यह आरोप भी लगाया कि ये कंपनियां 30-40 फीसदी छूट और मुफ्त होम डिलिवरी के साथ कम कीमतों पर व्यापार करके ई-कॉमर्स परिदृश्य का दुरुपयोग कर रही हैं. व्यापारी संगठन ने एक बयान में कहा, ‘‘यह विदेशी दिग्गजों द्वारा इन ई-फार्मेसियों में पूंजी डंपिंग का मामला है, जो देश के लाखों छोटे दवा दुकानदारों की आजीविका और भविष्य के लिए बेहद नुकसानदेय साबित हो सकता है.’’ इन आरोपों के बारे में फार्मेसी और 1एमजी को ईमेल से भेजे सवालों का खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं आया था.
ऑनलाइन फार्मेसी पर मिलती है बंपर छूट
CAIT के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि ई-फार्मेसी के बढ़ने से खुदरा दवा दुकानदारों और वितरकों को भारी कठिनाई हो रही है. भारी छूट जैसी प्रतिस्पर्धा रोधी गतिविधियों से उन्हें नुकसान पहुंच रहा है.
लाखों दुकानदार बेरोजगार हो जाएंगे
कैट का कहना है कि ई-फार्मेसी के पीछे विदेशी निवेशकों और बड़ी कंपनियों का सपॉर्ट है. ऐसे में छोटे दुकानदारों के लिए उसे मुकाबला करना नामुमकिन है. खंडेलवाल का कहना है कि ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 के मुताबिक, मेडिकल प्रेसक्रिप्शन दवाओं की होम डिलिवरी नहीं की जा सकती है. ई-फार्मेसी पर दुनियाभर की बड़ी कंपनियों की निगाहें हैं. ऐसा होने से इस बाजार पर उनका एकाधिकार हो जाएगा साथ ही लाखों दवा दुकानदार और केमिस्ट बेरोजगार भी हो जाएंगे.
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