नईदिल्ली,18 फ़रवरी 2025। 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के खतरनाक कचरे के निस्तारण का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। शीर्ष अदालत ने सोमवार को एक याचिका पर केंद्र सरकार, मध्य प्रदेश और उसके प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगा। इस त्रासदी में 5,479 लोगों की मौत हो गई थी और पांच लाख से ज्यादा लोग दिव्यांग हो गए थे।
अब बंद हो चुकी यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के लगभग 377 टन खतरनाक कचरे को धार जिले के पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में स्थानांतरित कर दिया गया, जो भोपाल से 250 किलोमीटर और इंदौर से लगभग 30 किलोमीटर दूर है। शीर्ष अदालत ने स्वास्थ्य के अधिकार और इंदौर शहर सहित आस-पास के क्षेत्रों के निवासियों के लिए जोखिम के मुद्दे को उठाने वाली याचिका का संज्ञान लिया। दो-तीन दिसंबर, 1984 की रात को यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से अत्यधिक जहरीली गैस मिथाइल आइसोसाइनेट का रिसाव हुआ था।
इसे दुनिया की सबसे भयानक औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है। जस्टिस बीआर गवई और आगस्टीन जार्ज मसीह की पीठ मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के तीन दिसंबर, 2024 और छह जनवरी, 2025 के आदेशों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गई। याचिकाकर्ता चिन्मय मिश्र ने अधिवक्ता सर्वम ऋतम खरे के माध्यम से शीर्ष अदालत में दायर याचिका में कहा है कि वह पीथमपुर में 337 टन खतरनाक रासायनिक कचरे के निस्तारण के अधिकारियों के निर्णय से चिंतित हैं। निस्तारण स्थल से एक किलोमीटर के दायरे में कम से कम चार-पांच गांव स्थित हैं। इन गांवों के निवासियों का जीवन और स्वास्थ्य अत्यधिक जोखिम में है। यह उल्लेख करना उचित है कि गंभीर नदी औद्योगिक क्षेत्र के बगल से बहती है और यशवंत सागर बांध को पानी उपलब्ध कराती है।