जब भी आप ट्रेन में यात्रा करते हैं तो आपको रेल यात्रा से जुड़े नियमों के बारे में जानकारी होनी चाहिए. जैसे आपको यात्रा के दौरान इमरजेंसी हो जाती है तो आपको किस तरह से उसका सामना करना चाहिए. जैसे मान लीजिए आप ट्रेन में सफर कर रहे हैं और यात्रा के दौरान तबीयत खराब हो जाए तो आपको क्या करना चाहिए. इस दौरान अगर आपको जरूरत पड़ जाए तो आप किस तरह से इस जरूरत को पूरा कर सकते हैं.
वैसे रेलवे की ओर से डॉक्टर की सुविधा भी दी जाती है और आप यात्रा के दौरान उसका फायदा उठा सकते हैं. आप अपनी तबीयत खराब होने पर डॉक्टर को दिखवा सकते हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि इमरजेंसी हालत में किस तरह डॉक्टर को बुलाया जा सकता है? अगर नहीं, तो आप भी जान लीजिए आखिर तबीयत खराब होने पर क्या करना होता है ताकि रेल में सफर करते वक्त आपको ज्यादा मुश्किल ना हो.
किस तरह डॉक्टर को बुला सकते हैं?
ट्रेन में इमरजेंसी स्थिति में डॉक्टर का सहारा ले सकते हैं. अगर आपकी या आपके साथी की तबीयत खराब हो जाती है तो आपको टीटीई से संपर्क करना होता है. वो इमरजेंसी स्थिति के अनुसार, इसकी व्यवस्था करता है. दरअसल, हर स्टेशन पर डॉक्टर की व्यवस्था नहीं होती है, इसलिए टीटीई अगले बड़े स्टेशन पर डॉक्टर की व्यवस्था करने की कोशिश करता है. इससे आने वाले स्टेशन पर मरीज को डॉक्टर की परामर्श दिलाई जाती है और तबीयत ज्यादा खराब हो तो वहां के अस्पताल में एडमिट करवाया जाता है.
ऐसे में जब भी आपको डॉक्टर की जरूरत पड़े तो रेलवे के किसी भी स्टाफ से संपर्क करें. अगर आपकी दिक्कत कोई ऐसी है, जिसे फर्स्ट एड बॉक्स के जरिए ठीक किया जा सकता है तो टीटीई इसकी व्यवस्था कर देता है. ट्रेन में फर्स्ट एड बॉक्स होता है, जिसका आप सहारा ले सकते हैं. जैसे किसी के शरीर में चोट लग जाए और खून आने लग जाए तो फर्स्ट एड बॉक्स से उसे ठीक किया जा सकता है.
इसके अलावा टीटीआई के पास कई बार जानकारी रहती है कि ट्रेन में यात्रा कर रहे यात्रियों में कौन डॉक्टर है? डॉक्टर होने की दशा में उससे परामर्श लिया जा सकता है. साथ ही जिन ट्रेन में अनाउंसमेंट की व्यवस्था होती है, उसमें अनाउंसमेंट करवा दिया जाता है और कोई यात्री डॉक्टर होता है तो उस मरीज की मदद कर देता है.
इन नियमों का भी रखें ध्यान
भारतीय रेलवे के नियमों के अनुसार, ट्रेन की छत पर बैठकर यात्रा करना अपराध है और आप ट्रेन की छत पर यात्रा नहीं कर सकते हैं. इसके साथ ही ट्रेन की सीढ़ियो, दरवाजों और इंजन में बैठकर यात्रा करना भी अपराध है. रेलवे एक्ट की धारा 156 के तहत ट्रेन की छत, सीढ़ियों, दरवाजों और इंजन में बैठकर यात्रा करने पर तीन महीने की जेल हो सकती है. रेलवे की अधिकारिक वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, छत पर बैठकर यात्रा करने पर 500 रुपये का जुर्माना देना होगा.
साथ ही ट्रेन में आप जिस क्लास में यात्रा कर रहे हैं और आपको पास उस क्लास की टिकट नहीं है तो आपको जुर्माना देना होगा. रेलवे एक्ट की धारा 138 के अनुसार, आपसे तय की गई यात्रा दूरी का रेलवे से निर्धारित साधारण किराया या जिस स्टेशन से ट्रेन छूटी है, वहाँ से तय दूरी का निर्धारित साधारण किराया और 250 रुपये की पेनल्टी ली जाएगी. इसके अलावा किराए का डिफरेंस भी देना होगा.
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