सरकार ग्रामीण स्कूल में इंटरनेट पहुंचाने के लिए एक बड़ी स्कीम चला रही है. इस स्कीम का नाम समग्र शिक्षा स्कीम है. यह स्कीम गांव के सभी स्कूल को इंटरनेट से जोड़ने की सुविधा देती है ताकि ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था को तेज किया जा सके. इस स्कीम के अंतर्गत गांवों के तकरीबन 15.6 करोड़ छात्रों को इंटरनेट की सुविधा मुहैया कराई जाएगी. इस मद में सरकार 2.9 लाख करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है.
सरकार ने बुधवार को समग्र शिक्षा स्कीम को आगे बढ़ाने के लिए मंजूरी दे दी. अब यह स्कीम अगले 5 साल तक जारी रहेगी. सभी बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा मिल सके, इसके लिए समग्र शिक्षा स्कीम की शुरुआत की गई है. इसते तहत गांव के सभी स्कूल इंटरनेट से जुड़ेंगे ताकि शहरों की तरह वहां भी ऑनलाइन पढ़ाई जारी रखी जा सके. वित्तीय मामलों की कैबिनेट कमेटी ने समग्र शिक्षा स्कीम Samagra Siksha Scheme (SSA) 2.0 को अगले 5 साल के लिए जारी रखने की इजाजत दे दी है.
समग्र शिक्षा स्कीम पर 5 साल में 2,94,283.32 करोड़ रुपये खर्च होंगे. सरकार ने इस खर्च के लिए हरी झंडी दे दी है. सरकार ने दिव्यांग बच्चों की आर्थिक सहायता में दी जाने वाली राशि को भी बढ़ा दिया है. इन बच्चों को 5,000 रुपये की इनसेंटिव मिलेगी. इसी के साथ हर साल इन बच्चों को 6,000 रुपये ट्रांसपोर्ट इनसेंटिव भी मिला करेगी. देश के सुदूर इलाकों के गांवों में पढ़ने वाले सेकेंडरी स्कूल के छात्रों को ट्रांसपोर्ट इनसेंटिव दी जाएगी. स्कूल से ड्रॉपआउट छात्रों के लिए भी सरकार खास नीति बना रही है. खासकर दलित समुदाय के बच्चों के लिए नई नीति बनाई जा रही है ताकि उनकी पढ़ाई-लिखाई में कोई अड़चन न आए. यह नई नीति छात्रों की सुरक्षा से भी जुड़ी होगी.
नई शिक्षा नीति की पहल
समग्र शिक्षा स्कीम से लगभग 11 लाख स्कूलों, 15 करोड़ छात्रों और 57 लाख से ज्यादा शिक्षकों को फायदा मिलेगा. यह सुविधा सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों को दी जाएगी जो प्री-प्राइमरी और सीनियर सेकेंडरी लेवल के स्कूल हैं. केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि समग्र शिक्षा स्कीम देश में चलाए जाने वाले सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल फॉर एजुकेशन (SDG-4) के साथ काम करेगी जिसकी सिफारिश नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 में की गई है. नई शिक्षा नीति में देश के सभी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की योजना बनाई गई है. पढ़ाई के लिए बच्चों को इंटरनेट की सुविदा मुहैया कराने पर जोर दिया जा रहा है. जिस कमेटी ने इस स्कीम को मंजूरी दी, उसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं.
डीबीटी से खाते में दिए जाएंगे पैसे
स्कूलों के इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देना, छात्रों की संख्या को बढ़ाना, साक्षरता दर को बढ़ाना, शिक्षकों की सैलरी बढ़ाने के लिए वित्तीय सहायता देना और शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए डिजिटल पहल करना इस स्कीम का खास मकसद है. समग्र शिक्षा स्कीम 2.0 में पहले से कुछ संशोधन किए गए हैं और उसे अपग्रेड किया गया है. यह स्कीम पूरी तरह से बच्चों की शिक्षा व्यवस्था पर आधारित है और इसके तहत मिलने वाली सुविधाएं और उसका खर्च डीबीटी के जरिये सीधा खाते में पहुंचाया जाएगा. इससे शिक्षा व्यवस्था पर खर्च होने वाले फंड में भ्रष्टाचार खत्म होगा और पढ़ाई-लिखाई में पारदर्शिता आएगी.
गांवों के स्कूलों में लगेंगे डिजिटल बोर्ड
नई स्कीम में छात्रों की सुरक्षा को भी सर्वोच्च रखा गया है. नई शिक्षा नीति और समग्र शिक्षा स्कीम में सुरक्षा पर जोर दिया गया है. प्राइवेट स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं जिनकी मदद से स्कूल प्रशासन और अभिभावक अपने बच्चों की निगरानी रखते हैं. लेकिन सरकारी स्कूलों में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं बन पा रही है. सरकारी स्कूलों में प्राइवेट स्कूलों की तरह ही सुरक्षा के मापदंड अपनाए जाएं, समग्र शिक्षा स्कीम में इसका प्रावधान किया गया है. देश में डिजिटल अभियान तेजी से चल रहा है और सरकार ऑनलाइन पढ़ाई को बढ़ावा दे रही है. आने वाले कुछ वर्षों में गांवों के स्कूलों में भी स्मार्ट क्लास और वर्चुअल लैब की स्थापना की जाएगी जो अभी शहरी स्कूलों में देखने को मिलते हैं. गांवों के स्कूलों में भी ब्लैकबोर्ड को डिजिटल बोर्ड में तब्दील कर दिया जाएगा.
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