Success Story: आज देश के हर नागरिक को नीरज चोपड़ा पर गर्व हो रहा है। टोक्यो ओलंपिक में जेवलिन थ्रो में नीरज चोपड़ा ने भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया है। ओलंपिक के मैदान में पहली ही दफा नीरज ने 86.65 मीटर भाला फेंक कर क्वालिफिकेशन राउंड में पहली ही कोशिश पर सभी के लिए जीत की उम्मीद जता दी थी। इस तरह से उन्होंने प्रथम पाॅजीशन के साथ फाइनल के लिए क्वालिफाई कर लिया और फाइनल में वे करोड़ों भारतीय दिलों की उम्मीदों पर खरे उतरे। भारत के इस बेटे ने जहां एक ओर अपनी किस्मत के द्वार खोले हैं तो वहीं अपने गरीब माता-पिता की उम्मीदों पर खरा उतरकर उनका मान बढ़़ाया है।
इस साधारण भाले से की थी प्रैक्टिस
नीरज एक गरीब परिवार से संबंध रखते हैं इनके माता पिता बेहद गरीब हैं। 17 सदस्यों वाले इस संयुक्त परिवार के बेटे ने अपने पूरे परिवार का मान बढ़ाने के साथ करियर में भविष्य के लिए कई रास्ते खोल दिए हैं। घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के बावजूद नीरज ने बहुत ही मुश्किल से जेवलिन थ्रो के लिए भाला खरीदा था और मात्र 7 हजार रुपए के भाले से उन्होंने प्रैक्टिस शुरू कर दी थी क्योंकि जेवलिन थ्रो वाला भाला ढेड़ लाख का आता है।
इस तरह से जेवलिन थ्रो की तरफ गया ध्यान
बचपन से ही नीरज काफी हेल्दी थे और इस वजह से इनके पिता और चाचा ने इन्हें खेल-खेलकर वजन घटाने के लिए कहा। तब नीरज ने पानीपत शिवाजी स्टेडियम में कई तरह के खेल खेलकर अपने वजन को कम करना शुरू कर दिया। इसी स्टेडियम में नीरज ने कई खिलाड़ियों को जेवलिन थ्रो करते हुए देखा था, तो हंसी-मजाक में उन्होंने भी इसे ट्राय करने की सोचा और पूरी ताकत के साथ भाले को फेंका, जिसे देखकर वहां के सभी खिलाड़ी हैरान हो गए। नीरज ने मात्र 11 वर्ष की आयु में 25 मीटर से भी दूर तक भाला फेंक दिया था, और जब उन्हें इस खेल में तारीफ मिली तो उनका जेवलिन थ्रो में इंटरेस्ट जागा।
Youtube के सहारे लिया प्रशिक्षण
नीरज चोपड़ा भले ही आज देश के नागरिकों के दिलों में छाए हुए हैं लेकिन असलियत यह है कि उनका शुरू से ही कोई कोच नहीं रहा है। जब उनका इंटरेस्ट इस गेम की तरफ बढ़ता गया तो वह हर रोज इसकी कम से कम 7-8 घंटे प्रेक्टिस करते रहे। थ्रो के सही माध्यम को समझने के लिए उन्होंने Youtube को सहारा बनाया। हर दिन वीडियो देखते और अपने परफार्मेंश में सुधार करने की कोशिश में लगे रहते। खेल की तरफ धीरे-धीरे ओर आगे बढ़ते हुए उन्होंने यमुना नगर में इसकी ट्रेनिंग करना शुरू की। इसके बाद से ही नीरज सफलता के शिखर पर चढ़ने लगे और अब वह टोक्यो ओलंपिक में सुपरस्टार बनकर सामने आए।
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