नई दिल्ली, 29 जुलाई: केंद्र सरकार ने इंस्टैंट मैसेज ऐप WhatsApp को टक्कर देने के लिए स्वदेशी विकल्प सैंड्स नाम के ऐप को विकसित किया है। हालांकि अभी तक इसका इस्तेमाल सिर्फ सरकारी कर्मचारियों और उन एजेंसियों के बीच आंतरिक रूप से किया जा सकता है, जो सरकार से जुड़े हैं। व्हाट्सऐप की तरह नए एनआईसी प्लेटफॉर्म का यूज किसी भी व्यक्ति के मोबाइल नंबर या ईमेल के साथ सभी प्रकार के कम्युनिकेशन के लिए किया जा सकता है। ऐसे में जानिए कि सैंड्स को क्यों बनाया गया और यह कैसे काम करता है।
दरअसल, स्वदेशी मैसेजिंग ऐप विकसित करने का विचार मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान ही आया था, जबकि इस पर वास्तविक काम 2020 की शुरुआत में शुरू हुआ।
मार्च 2020 में कोरोना महामारी फैल गई और देशव्यापी लॉकडाउन लगाया गया तो सरकार ने इस प्रक्रिया को तेजी से ट्रैक किया, क्योंकि सरकारी कर्मचारियों के बीच बातचीत को सुरक्षित करने की जरूरत महसूस की गई थी, जो घर से काम करते समय संवेदनशील नीतिगत मामलों पर संवाद कर रहे थे। एनआईसी ने अपना पहला वर्जन अगस्त 2020 में जारी किया।
आधिकारिक बातचीत को सुरक्षित करने के लिए हाई लेवल विचार विमर्श के बाद राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) ने गवर्नमेंट इंस्टेंट मैसेजिंग सिस्टम (जीआईएमएस) पर काम करना शुरू कर दिया, जो एक ओपन सोर्स, क्लाउड इनेबल्ड, एंड टू एंड एनक्रिप्टेड ओपन सोर्स प्लेटफॉर्म है, जिसे भारत सरकार के डेटा सेंटर पर होस्ट किया गया है। सैंड्स सरकार और नागरिकों के बीच तुरंत और सुरक्षित मैसेज भेजने के लिए एनआईसी की ओर से विकसित किया गया स्वदेशी प्लेटफॉर्म है।
अन्य ऐप की तरह ही पहली बार यूजर को रजिस्ट्रेशन करने के लिए इसे एक वैध मोबाइल नंबर या ईमेल आईडी की आवश्यकता होती है। Sandes के एंड्रॉइड और iOS वर्जन https://gims.gov.in पर उपलब्ध हैं। सैंड्स में ईमेल और मोबाइल आधारित सेल्फ रजिस्ट्रेशन, वन-टू-वन और ग्रुप मैसेजिंग, फाइल और मीडिया शेयरिंग, ऑडियो वीडियो कॉल के साथ चैटबॉट सक्षम डैशबोर्ड शामिल हैं।
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