⭕ प्राकृतिक संसाधन के संरक्षण के लिए इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में हुए विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम ।
⭕ आओ मिलकर पर्यावरण बचाएं और इस धरती को सबके जीने योग्य बनाएं! -डॉ. संजय गुप्ता
⭕ जब चारों तरफ़ हरियाली छाती हैए तब इन्सान के जीवन में खुशियाँ आती है! यह जागरूकता फैलाना है पर्यावरण को सुरक्षित बनाना है! -डॉ. संजय गुप्ता
⭕ प्रकृति व मानव शरीर दोनों ही पंच तत्वों जल अग्नि पृथ्वी वायु आकाश का समागम तो पंच तत्वों का बैलेंस बनाये रखना ही प्रकृति संरक्षण के उपाय है -डॉ. संजय गुप्ता
⭕ मौजूदा आयी वैश्विक त्रासदी नें मानव को सिखला दिया कि प्रत्येक के सामाजिक योगदान से प्रकृति सुरक्षित व संरक्षित होता है -डॉ. संजय गुप्ता
कोरबा 28 जुलाई (वेदांत समाचार) जैसा कि सर्वविदित है कि प्रतिवर्ष 28 जुलाई को विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस के तौर पर मनाया जाता है जिसका उद्देश्य विश्व के प्रकृति संरक्षण के प्रति लोगों का ध्यान आकर्षित करना है, चूंकि आज जो वैश्विक स्तर पर पर्यावरण को मानव ने मिलकर जो नुकसान पहुंचाए हैं, उसकी भरपाई करना व इसके साथ ही पर्यावरण का संरक्षण करना हम सभी का कर्तव्य है व सामाजिक जिम्मेदारी है, एक होती है व्यक्तिगत जिम्मेदारी जो हम स्वयं के उत्थान हेतु उठाते हैं दुसरीं होती है पारिवारिक जिम्मेदारी तीसरी होती है सामाजिक जिम्मेदारी तो पर्यावरण संरक्षण करना हम सबकी सामाजिक जिम्मेदारी है, इसे हमें हर हाल में निभाना चाहिए क्योंकि अगर हम यह सोचकर इस बात को हल्के में लेते हैं कि मुझ अकेले के जागरूक होने से क्या होगा मुझ अकेले के पीजिटिव सोचने से क्या होगा तो याद रहे कल को यह दूषित पर्यावरण सिर्फ आपको ही नहीं बल्कि आपके परिवार व समाज के प्रत्येक को बराबर नुकसान पहुंचाएगा, हमें प्रकृति संरक्षण का बिज अपने मन में बोना है कि जब कभी जहां कहीं भी हमें मौका मिले हम इसे संरक्षित रखने हेतु जागरूकता फैलाने के साथ-साथ स्वयं भी सकारात्मक कदम प्रकृति को संरक्षण करने मे बढ़ाते रहेंगे ।
इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में प्राकृतिक संसाधन के प्रति संरक्षण लाने के लिए विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम आयोजित हुए । कार्यक्रम में सर्वप्रथम विद्यालय की सामाजिक विज्ञान की शिक्षिका श्रीमती शैलजा राव ने प्राकृतिक संरक्षण के उद्देश्य के बारे में बताते हुए कहा कि विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस का उद्देश्य प्रकृति के संरक्षण के लिए जरूरी कदम उठाना है। प्रकृति में असंतुलन होने के कारण ही हमें आपदाओं का सामना करना पड़ता है। ग्लोबल वॉर्मिंग, महामारियां, प्राकृतिक आपदा, तापमान का अनियंत्रित तौर पर बढ़ता जाना आदि समस्याएं प्रकृति में असंतुलन के कारण ही पैदा होती हैं। देश पहले से ही कोरोना महामारी से जूझ रहा है और कई राज्य बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा झेल रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से लगातार कई भूकंप भी आ चुका है और आगे भी आने की संभावना जताई गई है। हम छोटे-छोटे प्रयासों से प्रकृति का संरक्षण कर सकते हैं।
इसके बाद नवमीं कक्षा के छात्रों ने नाट्यकला के माध्यम से प्रकृति संरक्षण के प्रति जागरूकता लाने का प्रयास किया । नाटिका में उन्होनें बताया कि यदि हम दिन ब दिन प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करते रहेंगें तो आने वाले कुछ समय में पृथ्वी का विनाश निश्चित है और अभी वर्तमान में धरती विभिन्न प्रकार की महामारी, बाढ़, सूखाग्रस्त, भुकंप, ग्लोबल वार्मिंग आदि विभिन्न समस्याओं से जूझ रही है । निरंतर पेड़ो की कटाई से वातावरण प्रदूषित हो रहा है और लोगों को श्वांस की बीमारियाँ हो रही है । इन समस्याओं से बचने का एकमात्र उपाय वृक्षारोपण ही है हम जितना हो सके प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करें । यही संदेश बच्चों के द्वारा दिया गया ।
इसी क्रम में विद्यालय की शिक्षिका श्रीमती सोनल मलिक ने अपने वक्तव्य में सभी लोगों से आग्रह किया कि प्राकृतिक संरक्षण हमारे भावी पीढ़ी के लिए बहुत आवश्यक है इसे बचाने के लिए हमें विभिन्न प्रकार के सार्थक कदम उठाने चाहिए जैसे जंगलों को न काटे। ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं पानी का उपयोग तब ही करें जब आपको जरूरत हो। उपयोग किए गए पानी का चक्रीकरण करें। जमीन के पानी को फिर से स्तर पर लाने के लिए वर्षा के पानी को सहेजने की व्यवस्था करें। जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण न करें। ध्वनि प्रदूषण को सीमित करें। कार्बन जैसी नशीली गैसों का उत्पादन बंद करे। प्लास्टिक, पॉलीथिन इस्तेमाल करना बंद करें और कागज, जूट या कपड़े की थैली इस्तेमाल करें। बिजली बचाएं, जिस कमरे मे कोई ना हो उस कमरे का पंखा और लाईट बंद कर दें। इंटरनेट के इस युग में सारे बिलों का भुगतान ऑनलाइन करें तो इससे ना सिर्फ हमारा समय बचेगा बल्कि कागज के साथ पेट्रोल-डीजल भी बचेगा। ज्यादा पैदल चलें और अधिक साइकिल चलाएं। डिब्बा बंद पदार्थो का कम इस्तेमाल। जलवायु को बेहतर बनाने की तकनीकों को बढ़ावा दें। प्रकृति से धनात्मक संबंध रखने वाली तकनीकों, सामानों का उपयोग करें। जैसे खेत में उर्वरक की जगह जैविक खाद का प्रयोग करें।
आगे डॉ. संजय गुप्ता प्राचार्य ने बतलाया कि हम सभी को मिलकर प्रकृति संरक्षण हेतु सामाजिक जागरूकता फैलानी चाहिए, यह हम सभी की सामाजिक जिम्मेदारी है, चूंकि प्रकृति सुरक्षित रहेगा तो हम भी सुरक्षित रहेंगे, उदाहरण के तौर पर मौजूदा जो विश्व के हालात बनें है उससे साफ सिख मिलती है कि प्रकृति प्रदूषित होने से केवल एक व्यक्ति नहीं बल्कि इसका प्रभाव सम्पूर्ण विश्व के प्राणी पर पड़ता है, आज विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस के अवसर पर ऑनलाइन क्लास के दौरान इंडस पब्लिक के बच्चों नें प्रकृति संरक्षण से सम्बंधित विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत जानकारियां हांसिल की वही कुछ बच्चों नें ऑनलाइन पेंटिंगए भाषणए कविताएं भी प्रस्तुत की, प्रकृति को संरक्षित रखने हेतु सामाजिक जिम्मेदारी उठाने की प्रतिज्ञा भी सभी बच्चों नें लीए सबने माना कि आज हमें सबसे ज्यादा जरूरत है प्रकृति पर मंडरा रहे संकट के मुद्दे पर आम जनता को जागरूक करने की जिसके लिए सभी को एकमत होकर इस दिशा में सकारात्मक कदम उठाने चाहिए ।
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