देहरादून । उत्तराखंड की राजनीती में एक नया मोड़ आ गया है। मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के बाद अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहे तीरथ सिंह रावत और उनकी सरकार की हरिद्वार कुंभ को लेकर भी किरकिरी हुई थी। 10 मार्च को उत्तराखंड की कमान संभालने वाले तीरथ सिंह रावत को चार महीने भी नहीं हुए कि उन्हें सीएम पद से इस्तीफा देना पड़ गया। तीरथ सिंह रावत ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। वे सिर्फ 115 दिनों तक ही बतौर मुख्यमंत्री काम कर सके हैं। वे सबसे कम कम अवधि वाले मुख्यमंत्री भी बन गए हैं।
तीरथ सिंह रावत ने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे की पेशकश की थी। सूत्रों की मानें तो रावत ने नड्डा को भेजे अपने पत्र में लिखा था कि मुख्यमंत्री बनने के बाद छह महीने के अंदर विधानसभा की सदस्यता लेनी थी। लेकिन आर्टिकल 151 के मुताबिक विधानसभा चुनाव में एक साल से कम का समय बचा हो तो उपचुनाव नहीं कराए जा सकते। उत्तराखंड में संवैधानिक संकट खड़ा न हो, इसके लिए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना चाहता हूं।
दिल्ली से देहरादून लौटे तीरथ सिंह रावत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। अटकलें लगाई जा रही थीं कि वे प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस्तीफे का ऐलान कर सकते हैं लेकिन ऐसा हुआ नहीं। रावत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाईं। तीरथ सिंह रावत ने उत्तराखंड में 20 हजार नई नियुक्तियां करने का भी ऐलान कर दिया। इसके थोड़ी ही देर बाद उन्होंने सीएम पद से अपने इस्तीफे का ऐलान कर दिया।
भाजपा हाई कमान ने बुलाया था दिल्ली
भाजपा हाई कमान ने मुख्यमंत्री रावत को दिल्ली तलब किया था। मुख्यमंत्री रावत के अलावा उत्तराखंड सरकार के मंत्री सतपाल महाराज और धन सिंह रावत को भी दिल्ली तलब किया गया था। दिल्ली पहुंचकर सीएम रावत ने गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी। दिल्ली में वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात के बाद तीरथ सिंह रावत ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को पत्र लिखकर इस्तीफे की पेशकश की थी।
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