मुंबई : ड्रैगन बीते कई महीनों से लगातार कम बैक कर रहा है और धीरे-धीरे इंडियन शेयर मार्केट का काल बनता जा रहा है. कोविड में जो एफपीआई निवेशक चीन से रूठ कर भारत आया था, अब वह वापस चीन की ओर लौट रहा है. बीते 5 महीने में एफपीआई ने भारतीय बाजार में बंपर बिकवाली की है.
चीन का ड्रैगन अब ज्वालामुखी सी आग उगल रहा है. ये भारतीय शेयर बाजार को निगलता जा रहा है. इसकी तस्दीक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की बिकवाली करती है. ग्लोबल मार्केट में चीन ने एक जबरदस्त कमबैक किया है. यहां के बाजार से जो पैसा विदेशी निवेशक निकाल रहे हैं, उसका ज्यादातर हिस्सा चीन के बाजार में पहुंच रहा है. वहीं यूरोप के कई देश भी एफपीआई को आकर्षित कर रहे हैं.
कोविड के बाद दुनियाभर में चीन को लेकर एक निगेटिव सेंटीमेंट बना हुआ था. इसका फायदा इंडिया को मिला. उस समय भारत की इकोनॉमी और शेयर मार्केट में भी ग्रोथ का सेंटीमेंट बना हुआ था जिसकी वजह से एफपीआई भरपूर निवेश कर रहे थे. हालांकि बीते 5 महीने में एफपीआई ने निवेश से ज्यादा मार्केट में बिकवाली की है. मार्केट के टूटने की एक बड़ी वजह ये भी है. वहीं भारतीय इकोनॉमी की रफ्तार भी इस दौरान नरम पड़ी है.
मार्केट से चूस लिए 3.11 लाख करोड़ रुपए
अक्तूबर के बाद से ही एफपीआई भारतीय शेयर में बाजार निवेश से ज्यादा बिकवाली कर रहे हैं, इससे मार्केट में वह नेट सेलर बने हुए हैं. भारतीय स्टॉक एक्सचेंज पर उपलब्ध डेटा को देखें, तो अक्टूबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच FPI ने बाजार से पूरे 3.11 करोड़ रुपए की निकासी की है. हालांकि डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इंवेस्टर्स (म्यूचुअल फंड, एलआईसी, पीएफआरडीए इत्यादि) ने भी इस गैप को भरने की भरपूर कोशिश की है, लेकिन एफपीआई की निकासी काफी बड़ी है.
देश की इकोनॉमिक ग्रोथ के नरम पड़ने और आने वाले सालों में भी उसके नरम रहने के अनुमान ने एफपीआई को भारतीय बाजार से पैसा निकालने के लिए मजबूर किया है. वहीं बीती दो तिमाहियों (जुलाई-सितंबर और अक्तूबर-दिसंबर) में भारतीय कंपनियों ने प्रॉफिट तो कमाया है, लेकिन उसकी प्रॉफिटेबिलिटी में कमी आई है. इससे भी एफपीआई ने बाजार से पैसा खींचा है.
कैसे – कैसे एफपीआई ने निकाले पैसे?
इंडियन मार्केट से एफपीआई ने अक्तूबर 2024 में 94,017 करोड़ रुपये की निकासी की थी. फिर नवंबर 2024 में भी एफपीआई ने मार्केट से निकासी की थी. इसके बाद दिसंबर में एफपीआई का निवेश पॉजिटिव रहा था, लेकिन जनवरी और फरवरी 2025 दोनों महीनों में एफपीआई ने मार्केट से निकासी की है. अब तक के डेटा के हिसाब से ये राशि करीब 98,226 करोड़ रुपए हो चुकी है.
चीन ने दिए बेलआउट पैकेज, इकोनॉमी को मिली रफ्तार
इसके उलट चीन की इकोनॉमी में लगातार रफ्तार दिख रही है. कोविड के बाद देश की अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए चीन ने वहां रियल एस्टेट से लेकर इंडस्ट्रीज तक के लिए बेलआउट पैकेज दिया था. चीन ने नवंबर 2024 में 839 अरब डॉलर का एक बेलआउट पैकेज अनाउंस किया था. इससे चीन की प्रांतीय सरकारों को अपने कर्ज का बोझ कम करने में मदद मिलने वाली है. वहीं सितंबर के आखिर में चीन के केंद्रीय बैंक ने इकोनॉमी में लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए कर्ज लेने के नियमों में ढील दी थी, जिसका असर ये हुआ कि वहां के रियल एस्टेट मार्केट को बूस्ट मिला.
चीन से यूरोप तक पहुंच रहा निवेश
भारत से इन 5 महीनों में जहां एफपीआई इंवेस्टमेंट निकला है, वहीं चीन के साथ-साथ यूरोप के देशों में इसका निवेश बढ़ा है. जर्मनी में 93 करोड़ डॉलर, स्विट्जरलैंड में 82.4 करोड़ डॉलर, फ्रांस में 65.8 करोड़ डॉलर और नीदरलैंड में 34.4 करोड़ डॉलर का निवेश आया है. चीन में तो फरवरी के इसी हफ्ते में 57.3 करोड़ डॉलर का एफपीआई निवेश आया है.