सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली मामले में न केवल घर खरीदने वाले लोगों के हितों की रक्षा की है बल्कि आवास परियोजनाओं को भी सफल बनाया है. कोर्ट द्वारा नियुक्त किए गए रिसीवीर ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट दाखिल की है जिसमें फ्लैट्स का पूरा ब्यौरा दिया गया है जैसे कि कितने फ्लैट्स की बिक्री हुई और कितने फ्लैट्स को एनबीसीसी को बिक्री के लिए दिया गया है?
आम्रपाली के अधूरे प्रोजेक्ट्स को पूरा करने का जिम्मा सुप्रीम कोर्ट ने NBCC को सौंपा था, ये सरकारी कंपनी सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में काम कर रही है. एनबीसी ने पिछले पांच सालों में 6686 फ्लैट्स की बिक्री से 3861 करोड़ रुपए जुटाए गए हैं. आम्रपाली मामले में सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप ने न केवल घर खरीदारों के हितों की रक्षा की है बल्कि आवास परियोजनाओं को भी सफल बनाया है. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त रिसीवर और अटॉर्नी जनरल R Venkataramani ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की है.
अदालत में जमा हुई स्टेटस रिपोर्ट
पिछले साढ़े पांच साल में किए गए काम पर कॉम्प्रीहेंसिव स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करते हुए रिसीवर ने अदालत को बताया कि जुलाई 2019 में एनबीसीसी को आम्रपाली के सभी हाउसिंग प्रोजेक्ट को पूरा करने का काम सौंपा गया था. लगभग 25000 फ्लैट्स का निर्माण पूरा कर लिया गया है जिसमें फिनिशिंग और इलेक्ट्रिकल समेत अन्य काम शामिल हैं.
काम पूरा होने के बाद एनओसी के लिए भी आवेदन किया गया है. रिसीवर ने अदालत को इस बात की भी जानकारी दी है कि जिन फ्लैट्स पर दावा नहीं किया गया और जिन यूनिट्स के लिए घर खरीदने वाले लोग पैसे नहीं दे रहे थे उन्हें बेचा जा रहा है.
रिपोर्ट में है ये जानकारी
रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है कि 4959 अनसोल्ड यूनिट्स को एनबीसीसी को बिक्री के लिए जारी कर दिया है. 4959 यूनिट्स में से 4733 यूनिट्स को 2617 करोड़ रुपए में बेचा गया है और 15 जनवरी तक 2165 करोड़ रुपए रिलीज किए गए हैं. इसके अलावा डिफॉल्टर और रजिस्टर्ड लेकिन पेमेंट नहीं करने वालों की 1953 यूनिट्स को कुल 1244 करोड़ रुपए में बेचा गया जिसमें से लगभग 1012 करोड़ रुपए रिलीज किए गए हैं.
2017 में शुरू हुई कार्यवाही
इस मामले की कार्यवाही 2017 में शुरू हुई जब घर खरीदने वाले लोगों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया और अदालत ने प्रमोटरों और अधिकारियों को जेल में डालने के लिए कई आदेश पारित किए. इसी के साथ कंपनी के फोरेंसिक ऑडिट का भी निर्देश दिया गया जिसमें घर खरीदने वालों के पैसे की बड़े पैमाने पर हेराफेरी का खुलासा हुआ.
अदालत ने 2019 में कंपनी के मैनेजमेंट को हटाया और कंपनी के मामलों को मैनेज करने के लिए सीनियर एडवोकेट और अब अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी को रिसीवर नियुक्त किया था. अदालत ने निर्माण कार्य पूरा करने के लिए एनबीसीसी को भी शामिल किया और यह भी सुनिश्चित किया कि काम पूरा करने के लिए पीएसयू को धन मुहैया कराया जाए.
जारी है 16 हाउसिंग प्रोजेक्ट्स का काम
एनबीसीसी की लेटेस्ट स्टेट्स रिपोर्ट के अनुसार, पीएसयू ने लगभग 25000 फ्लैट पूरे कर लिए हैं और अन्य 15200 फ्लैट्स का ढांचा तैयार हो चुका है.10 दिसंबर तक लगभग 7823 करोड़ रुपए का काम पूरा कर लिया गया है लेकिन इस काम के लिए 7480 करोड़ रुपए ही मिले हैं यानी लगभग 343 करोड़ रुपए की राशि बकाया है.एनबीसीसी अभी नोएडा, ग्रेटर नोएडा और मानेसर में आम्रपाली के 16 हाउसिंग प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है.
एनबीसीसी ने 2020 से दिसंबर 2024 तक नोएडा और ग्रेटर नोएडा में स्थित विभिन्न आम्रपाली प्रोजेक्ट्स में लगभग 25000 फ्लैट उपलब्ध कराए हैं. ऑफिस ऑफ द कोर्ट रिसीवर के पास जिन फ्लैट्स का काम पूरा हो गया, जो फ्लैट्स कब्जा लेने के लिए तैयार हैं और घर खरीदारों की पेमेंट डिटेल्स के बारे में जानकारी उपलब्ध है.
रिसीवर ने रिपोर्ट में कहा कि इस प्रक्रिया में केवल 15000 घर खरीदारों ने ही वेरिफिकेशन के लिए दस्तावेज जमा किए हैं. 15000 घर खरीदारों में से लगभग 12550 मौजूदा घर खरीदार और 1000 नए घर खरीदार जिन्होंने अनसोल्ड घर को खरीदा है ने सभी बकाया चुका दिया है और उन्हें NOC और प्रोसेशन लेटर दे दिया गया है.
इन लोगों को मिलेगा पैसा वापस
रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि 1000 घर खरीदारों ने अपने निवेश की वापसी की मांग की है क्योंकि वह फ्लैट का प्रोसेशन नहीं चाहते हैं. लोगों के रिफंड देने के बाद फ्लैट्स को बिक्री के लिए एनबीसीसी को जारी किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति ने फंड्स की उपलब्धता को देखते हुए स्लॉट बनाकर घर खरीदारों को पैसा वापस करने का फैसला किया है.