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विदेशी पक्षियों की पहली सैटेलाइट ट्रैकिंग,चीन-मंगोलिया से आए दो रूडी शेलडक पक्षियों पर लगाया ट्रांसमीटर, लोकेशन जानने में मिलेगी मदद

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बिहार,28 फ़रवरी 2025/ पहली बार विदेशी प्रवासी पक्षियों की गतिविधियों पर सैटेलाइट से नजर रखी जाएगी। जमुई के नागी पक्षी आश्रयणी में चीन और मंगोलिया से आए दो रूडी शेलडक पक्षियों पर ट्रांसमीटर लगाया गया है। बिहार वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने मुंबई नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी के साथ मिलकर यह पहल की है।

पक्षी विशेषज्ञों ने इन पक्षियों के पीठ पर सोलर पावर्ड जीपीएस और जीएसएम ट्रांसमीटर लगाए हैं। इससे उनकी गतिविधियों और प्रवास की रीयल-टाइम जानकारी मिलेगी। विशेषज्ञों ने इन दोनों पक्षियों का नाम गगन और वायु रखा है। एक पक्षी नागी जलाशय में है। दूसरा भीमबांध की ओर प्रवास कर चुका है। प्रत्येक ट्रांसमीटर की कीमत लगभग 3-4 लाख रुपए है।

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पक्षियों की लोकेशन जानने में मिलेगी मदद

बिहार में अब तक केवल रिंगिंग और टैगिंग की प्रक्रिया अपनाई जा रही थी। देश का चौथा बर्ड रिंगिंग एवं मॉनिटरिंग सेंटर भागलपुर में स्थित है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक प्रभात कुमार गुप्ता के अनुसार, सर्दियों में कई विदेशी पक्षी बिहार आते हैं। सैटेलाइट ट्रांसमीटर महंगा होने के बावजूद पक्षियों की सटीक लोकेशन जानने में मदद करता है।

वर्ष 2020 से पक्षियों पर रिंग और फ्लैग लगाने का कार्य किया जा रहा था। अब पहली बार ट्रांसमीटर का उपयोग किया गया है। इससे प्रवासी पक्षियों के प्रवास मार्ग और व्यवहार को बेहतर समझने में मदद मिलेगी।

30 देशों से पहुंचे प्रवासी पक्षी

एक पक्षी तो अभी नागी जलाशय में ही है लेकिन एक पक्षी के बारे में पता चला है कि वो यहां से मूव कर भीमबांध चला गया है और इससे पता चलने लगा है वो पक्षी अपनी लंबी दूरी की यात्रा प्रारंभ कर चुका है। भीमबांध में इन पक्षियों का पूरा ग्रुप इकठ्ठा होगा और हिमालय पारकर वापसी की यात्रा प्रारंभ करता है।

पक्षियों के बारे में पल-पल की खबर मिल रही है। एक ट्रांसमीटर को लगाने में करीब तीन लाख से चार लाख रुपये का खर्च आता है। बता दे की गुरुवार को वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रेम कुमार ने दो राज्य पक्षी महोत्सव का शुभारंभ किए।

उन्होंने बताया कि बिहार सरकार नागी-नकटी पक्षी आश्रयणी को एक प्रमुख पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने की दिशा में काम कर रही है। यह स्थल पहले ही रामसर साइट से जुड़ चुका है और जाड़े के मौसम में यहां करीब 30 देशों से प्रवासी पक्षी आते हैं।

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