छत्तीसगढ़ में वन विभाग जंगली हाथियों से परेशान है। आए दिन ये हाथी जंगल छोड़कर आबादी एरिया में आ जाते हैं और वहां फसल सहित ग्रामीणों के जानमाल का नुकसान करते हैं । इन हाथियों को जंगल तक ही रोके रखने के लिए कई प्रयास हुए लेकिन, वे सफल नहीं हुए। अब कोरबा वन मंडल की ओर से एक अनोखा उपाय किया जा रहा है यह एक पायलट प्रोजेक्ट है जिसमें मधुमक्खियों की मदद ली जाएगी और यह मधुमक्खियां ही हाथियों को सबक सिखाएंगे और आबादी एरिया में आने से रोकेंगे ।
हाथियों का उत्पाद जारी
कोरबा जिले में पिछले डेढ़ दशक से हाथियों का उत्पात जारी है। जशपुर और धर्मजयगढ़ के रास्ते हाथियों का दल हर साल कोरबा में दाखिल होता हैं, और जमकर उत्पात मचाते हैं। खास तौर पर करतला और कुदमुरा इलाका हाथियों की चहलकदमी से थर्राया रहता है. पिछले डेढ़ दशक में हाथियों के हमले से 50 से अधिक ग्रामीणों को अपनी जान गंवानी पड़ी हैं। वही हजारों एकड़ खेतों की फसल को हाथियों ने तबाह किया है.
सभी तरकीब विफल होने के बाद अब मधुमक्खियों का सहारा
पूरे प्रदेश में हाथियों को रोकने के लिए वन विभाग द्वारा कई प्रोजेक्ट पर करोड़ों रुपए के काम हुए हैं । सोलर फेेंसीग भी कारगर नहीं रहा ऐसे में अब एक बार फिर हाथियों के आतंक को रोकने के लिए नई कार्ययोजना बनाई गई है। इस बार हाथियों को रोकने मधुमक्खियों की मदद ली जाएगी। विभाग द्वारा हैंगिंग बी हाईब फेंसिंग नाम से कार्य योजना तैयार की गई है। जिसका प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज दिया गया है। कोरबा वन मंडल अधिकारी प्रियंका पांडे की माने तो छत्तीसगढ़ में पहली बार इस प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है और फंडिंग होते ही योजना पर कार्य शुरू हो जाएगी।
ऐसे मदद करेंगी मधुमक्खियां
जिन रास्तों से हाथियों का गांव की ओर आना जाना है ऐसे स्थानों पर तार फेंसिंग लगाकर उसमें मधुमक्खी से भरा प्लेट लटकाया जाएगा। फेंसिंग के संपर्क में आते ही मधुमक्खी हाथियों पर हमला कर देंगी. जिससे हाथियों का दल गांव में नहीं घुस पायेगा और किसान की जान और उनकी फसल को बचाया जा सकेगा। जिसके लिए प्रथम चरण में कुदमुरा के उन इलाकों को इस प्रोजेक्ट के लिए चिन्हित किया गया है. जहां हाथियों का आना जाना होता है।
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