समस्या और समाधान की बीच की दूरी को कम करने का प्रयास ही NSS हैं :- डॉ आदिले

कोरबा,23 नवम्बर 2024। शासकीय इंजीनियर विश्वेसरैया स्नाकोत्तर महाविद्यालय कोरबा द्वारा राष्ट्रीय सेवा योजना सात दिवसीय विशेष शिविर का आयोजन पूर्व माध्यमिक शाला डोंगाआमा में किया गया है। यह शिविर संस्था प्राचार्य रेणु बाला शर्मा के संरक्षण, कार्यक्रम अधिकारी प्रोफेसर अजय कुमार पटेल तथा श्रीमती मधु कंवर के निर्देशन तथा सभी रा.से.यो स्वयंसेवकों के सहयोग से आयोजित किया जा रहा हैं। यह शिविर दिनांक 21 नवंबर से शुरू हुआ है जिसमें 5 समूह बांटे गए हैं। कल शिविर का द्वितीय दिन था जिसकी शुरुआत सुबह 6 बजे के प्रभातफेरी से हुई जिसके पश्चात सभी दलों को कार्य सौंपा गया जिसमें दल क्रमांक 1 मदर टेरेसा एवं शहीद वीर नारायण भोजन व्यवस्था, दल क्रमांक 2 मिनीमाता एवं गुरु घासीदास मंच संचालन, प्रांगण की सफ़ाई एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा दल क्रमांक 3,4 व 5 राधाबाई एवं स्वामी विवेकानंद, सावित्री फुले एवं महात्मा गांधी, रानी लक्ष्मीबाई एवं भगत सिंह द्वारा परिसर के बाहर की सफ़ाई तथा परियोजना कार्य अंतर्गत घास- फूस की सफ़ाई तथा खेल का मैदान तैयार किया गया तत्पश्चात स्नान व भोजन की व्यवस्था की गई। इसके बाद दोपहर 2:00 बजे बौद्धिक चर्चा की शुरुआत हुई।

कल के बौद्धिक चर्चा के मुख्य अतिथि डॉ प्यारेलाल आदिले (प्राचार्य जय बूढ़ा देव महाविद्यालय कटघोरा), विशिष्ट अतिथि श्री मनोज गुप्ता (LIC सलाहकार MDRT सदस्य), संतोष कुमार मांझी, ज़ाहिर खान तथा रामेश्वर सिंह राठौर आए थे। अतिथियों द्वारा प्रज्वलन कर बौद्धिक सत्र का शुभारंभ किया गया। पुष्प गुच्छ, तिलक एवं NSS बैच से अतिथियों का स्वागत किया गया। तत्पश्चात सभी अतिथियों ने स्वयंसेवकों को अपना आशीर्वचन प्रदान किया। मनोज सर जी ने अपने वाणी की शुरुआत करते हुए कहा कि वह खुद भी एक NSS स्वयंसेवक रह चुके हैं। उन्होंने अपने जीवन परिचय द्वारा NSS के मूल तथ्यों तथा स्वयंसेवकों को धैर्य का महत्त्व बताया।
मुख्य अतिथि जय बूढ़ादेव महाविद्यालय कटघोरा के प्राचार्य डॉ प्यारेलाल आदिले, पूर्व विशिष्ट रा.से.यो. स्वयंसेवक रह चुके है, जो कई राष्ट्रीय–अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारो से सम्मानित, प्रभावी वक्ता है।
“समस्या और समाधान की बीच की दूरी को कम करने का प्रयास ही NSS का मूल उद्देश्य हैं।”
इन्होंने अपने स्वयं सेवक के स्वरूप में एक ही वर्ष में 3 राष्ट्रीय रा.से.यो. शिविर सहित कई अन्य शिवरों से प्राप्त जीवन के अनुभवों को बताते हुए, रा.से.यो. के महत्व, उद्देश्य एवं मूल तथ्यों, समस्याओं और समाधान को स्वयंसेवकों को बताते हुए उन्हें समय प्रबंधन का विशेष ध्यान रखने हेतु हिदायत दी एवं जीवन में इन भावों को आत्मसात करने हेतु प्रेरित किया। अपनी वाणी को विराम देते हुए उन्होंने सभी शिविरार्थियों को एक दवाई बताया कि अपने काम में इतने व्यस्त रहो की बुरे विचार आने के लिए समय ही ना रहे तथा हम केवल अच्छी बातें ही सोचें। संध्या काल में दैनिक सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया, जिसमें पूर्व मुख्य अतिथिगण उपस्थित रहे और साथ ही केराकछार के शिक्षकगण भी उपस्थित रहे। सांस्कृतिक कार्यक्रम में ग्रामवासियों ने अपनी सहभागिता भी दिखाई और सांस्कृतिक कार्यक्रम में कर्मा, पंथी, सुआ, राउत नाचा और नाटकों के आयोजन के पश्चात कार्यक्रम की समाप्ति हुई।

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