जांजगीर-चांपा 21 नवम्बर 2024/ लैनकुंवर एक छोटी किसान और ग्रामीण महिला हैं जो जांजगीर-चांपा जिले के विकासखण्ड बलौदा के एक छोटे से गाँव में रहती हैं। उनका परिवार कृषि पर निर्भर था, लेकिन उनकी ज़मीन में उपजाऊपन की कमी और बार-बार पानी रुकने की समस्या से अच्छी फसल उगाना मुश्किल हो गया था। लैनकुंवर के खेत का अधिकतर हिस्सा बंजर और ऊबड़-खाबड़ था, जहाँ सिंचाई की समस्या हमेशा बनी रहती थी। परिवार की आर्थिक स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं थी, और ज़मीन को सुधारने के लिए पैसे जुटा सकें, ऐसे में उनके जीवन में खुशहाली की बहार महात्मा गांधी नरेगा लेकर आया जब उनके बंजर खेतों को भूमि सुधार का काम करते हुए गुलजार बनाया गया।
ग्राम पंचायत नवागांव के आश्रित ग्राम सत्तीगुड़ी की श्रीमति लैनकुंवर निवासी है वह मनरेगा योजना में मजदूरी एवं ग्राम के अन्य कार्य में मजदूरी कर जीवन यापन करती है। श्रीमति लैनकुवंर अनु. जनजाति होने के कारण वन अधिकार अधिनियम के तहत् ग्राम सत्तीगुड़ी में 02 एकड़ जमीन का पट्टा दिया गया। यह जमीन खेती करने के लिए उतना उपजाउ नहीं था। इनके द्वारा महात्मा गांधी नरेगा योजना से कार्य की मांग किया गया। इसके बाद भूमि सुधार कार्य का प्रस्ताव तैयार कर तकनीकी स्वीकृति के बाद उसे जिला पंचायत प्रशासकीय स्वीकृति के लिए भेजा गया। महात्मा गांधी नरेगा योजना से 1 लाख 15 हजार 944 रूपए की कार्य स्वीकृति होने के पश्चात् हितग्राही के द्वारा स्वयं एवं घर के सदस्यों द्वारा कार्य को अच्छे गुणवत्ता से कार्य किया गया। इनके 2 एकड़ जमीन का बेहतर खेत बन जाने से इनके द्वारा खेत में धान का फसल पहली बार लगाया है धान लगभग 20 क्विंटल होने की संभवना है जिससे वह अपने घर परिवार का भरण-पोषण (जीविकोपार्जन) अच्छा से कर पा रही है। महात्मा गांधी नरेगा से ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध कराना और भूमि सुधार से कृषि उत्पादन बढ़ाना है।
बलौदा जनपद पंचायत के कार्यक्रम अधिकारी ह्रदय शंकर ने बताया कि सबसे पहले लैनकुंवर के खेत की जमीन को समतल करने का कार्य शुरू हुआ। खेत के ऊँचे-नीचे हिस्सों को बराबर किया गया ताकि पानी हर जगह समान रूप से पहुँच सके और फसल उगाने में आसानी हो। साथ ही खेत के चारों ओर जल निकासी की व्यवस्था की गई ताकि भारी बारिश में भी खेत में पानी जमा न हो। लैनकुंवर के खेत का भूमि सुधार कार्य पूरा होने के बाद उसकी फसल में भारी सुधार देखने को मिला। पहले जहाँ उसकी जमीन पर कम उपज होती थी, वहीं अब मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ने से अच्छी फसल उगने लगी। लैनकुंवर की इस सफलता की कहानी गाँव में चर्चा का विषय बन गई। इस तरह, लैनकुंवर की मेहनत और मनरेगा की मदद से उनकी भूमि का सुधार एक प्रेरणादायक सफलता की कहानी बनी, जो अन्य किसानों के लिए एक मिसाल है।
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