नई दिल्ली। खाने के तेल (Edible Oil) के दाम भी पेट्रोल-डीजल की कीमतों की तरह बेलगाम हो चुके हैं। पेट्रोल-डीजल के दाम कम करना तो सरकार के हाथ में नहीं है, क्योंकि ये ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतों पर निर्भर करते हैं, लेकिन खाने के तेल के दाम का ग्लोबल मार्केट से कोई लेना देना नहीं है, फिर इसके दाम क्यों बढ़ रहे हैं इस सवाल का जवाब केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने दिया है।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरसों का तेल थोड़ा महंगा जरूर हुआ है, क्योंकि उसमें सरकार ने मिलावट को बंद किया है। उन्होंने कहा कि सरकार बढ़ती महंगाई पर नजर बनाए हुए है, दालों और तेल की कीमतों पर हमारा ध्यान है। दालों के दाम कम हुए हैं क्योंकि सरकार ने स्टॉक रिलीज किया है, लेकिन सरसों तेल के दाम बढ़े हैं क्योंकि हमारी सरकार ने तय किया है कि हम इसमें और कोई खाने का तेल मिक्स नहीं करेंगे ताकि इसकी शुद्धता बरकरार रहे।
उन्होंने कहा कि ये ये फैसला बेहद जरूरी है इसका फायदा देशभर के तिलहन और सरसों में काम करने वाले किसानों को होने वाला है। यानी अब कई स्रोतों वाले तेलों से तैयार किए जाने वाले खाद्य वनस्पति तेल के उत्पादन और पैकिंग में सरसों तेल को मिलाने पर रोक लागू हो गई है। सरकार की ओर से सोमवार को इसे लेकर एक आदेश जारी किया गया था।
बीते एक साल में सरसों के तेल का दाम बेतहाशा बढ़े हैं। उपभोक्ता मंत्रालय के मुताबिक एक साल में खाने के तेल के दाम 60 परसेंट तक बढ़े हैं। आजकल सरसों तेल का भाव 170 से 180 रुपये प्रति लीटर चल रहा है, जो पिछले साल मई के दौरान 120-130 रुपये प्रति लीटर था। सरसों तेल के अलावा मूंगफली, सूरजमुखी, डालडा और रिफाइंड जैसे दूसरे खाद्य तेलों के दाम में भी तेजी से बढ़े हैं।
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