पाली,23 जुलाई 2024।पाली क्षेत्र में अवैध रेत खनन प्रतिबंध के बाद भी नहीं रूक रहा है। नदी से लगे आधा दर्जन गांवों में अवैध उत्खनन जारी है,जबकि शासन रेत के वैध उत्खनन पर भी रोक लगा दी है।लेकिन पाली क्षेत्र में रेत तस्कर गिरोह के सामने प्रशासनिक, बेबस हैं. इसी कारण प्रतिबंध लगने के बाद भी अवैध तरीके से रेत खनन जारी है.यह कहना लाजमी होगा है अवैध तरीके से रेत खनन करने वाले तस्कर नेताओं से ताल्लुक रखते हैं.जो प्रशासन की नाक के नीचे दिनदहाड़े अंधाधुंध रेत खनन करने के बाद पाली में आपूर्ति कर रहे हैं.
पाली में नियम कायदों की सरेआम उड़ाई जा रही धज्जियां
पाली में नियम कायदों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। सरकार और उच्चाधिकारियों को ठेंगा दिखाते हुए अवैध कारोबार संचालित किए जा रहे हैं। मगर इन पर रोक लगाने में संबंधित विभाग नाकाम है। गौड़ खनिज के काले कारोबार जिले में वैसे तो रेत उत्खनन पर पूर्णतः प्रतिबंध लगा हुआ है, मगर नियमों की परवाह किसे है। ये पाली है नियमों को ताक पर रखकर अवैध कारोबार होती हैं।यहां न तो सरकार के निर्देशों की परवाह है और न ही कलेक्टर की कार्रवाई का डर। डर हो भी कैसे, आखिर इसके उपर पुलिस और खनिज विभाग के कुछ कर्मचारियों का हाथ जो है। ये नईदुनिया नहीं कह रही ये प्रतिदिन की 50 से अधिक टैक्टर रेत की आपूर्ति देखकर स्वयं अंदाजा लगाया जा सकता है। शासन के निर्देश पर खनिज विभाग द्वारा जिले के तमाम रेत घाटों को बंद कर दिया गया। रेत उत्खनन पर बैन लगा है। प्रशासनिक पाबंदी के बाद भी इसका कारोबार प्रभावित नहीं हुआ। यहां टेक्टर से अधिक रेत का परिवहन होता है।
आप खुद सोच कर देखिए इसके जिम्मेदार खनिज विभाग जिन्होंने शासन के आदेश के विपरित इन्हें अवैध रेत उत्खनन करने की खुली छुट दे दी है। यानी चंद रूपए के लालच में शासकीय नुमाइंदे इन तस्करों के सामने नतमस्तक हो गए है। यानी सीधे तौर पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और भाजपा सरकार की आंखो में धूल झोंककर तस्कर समेत संबंधित अधिकारी कर्मचारी अपनी जेब भरने में लगे है। इस तरह से अवैध रेत कारोबारियों और रिश्वतखोरी पर कानूनी शिकंजा कसने की जरूरत है।
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