बिलासपुर, 16 अप्रैल। राज्य शासन द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) को वापस लेने के साथ ही अब मीसाबंदियों को सम्मान निधि मिलने का रास्ता भी साफ हो गया है। वर्तमान में प्रदेश में 350 मीसाबंदी हैं जिनको सम्मान निधि का लाभ मिलेगा।
वर्ष 2018 में राज्य की सत्ता में कांग्रेस की वापसी के बाद राज्य शासन ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण सम्मान निधि को बंद करने के लिए नया अध्यादेश लाया और इसके जरिए पूर्ववर्ती भाजपा सरकार द्वारा जारी अध्यादेश को प्रभावहीन करते हुए मीसा बंदियों को सम्मान निधि बंद करने का आदेश जारी कर दिया था। राज्य शासन के फैसले के खिलाफ जानकी गुलाबणी सहित तकरीबन 50 मीसाबंदियों ने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
मामले की सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधिकारियों ने शासन द्वारा लाए गए अध्यादेश का हवाला देते हुए इसे बंद करने की बात कही। इस पर कोर्ट ने शासन द्वारा रोकी गई सम्मान निधि तिथि से एरियर्स की राशि देने का निर्देश शासन को दिया था। मीसाबंदियों ने एक और याचिका दायर कर शासन द्वारा लाए नए अध्यादेश की वैधानिकता को चुनौती देते हुए पूर्ववर्ती सरकार द्वारा जारी सम्मान निधि को नियमित रखने और एरियर्स की राशि की मांग की थी। इस पर हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता मीसाबंदियों के पक्ष में फैसला सुनाते हुए सम्मान निधि देने का निर्देश राज्य शासन को दिया था।
सुप्रीम कोर्ट में दी गई थी चुनौती
हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर कर चुनौती दी थी। मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही थी। राज्य की सत्ता में वापसी के बाद भाजपा ने कांग्रेस सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश को वापस लेने के साथ ही पूर्व में जारी अध्यादेश को प्रभावशील कर दिया है। इस संबंध में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब पेश करते हुए एसएलपी को वापस लेने की जानकारी दी गई। ध्यान रहे कि वर्ष 2008 में भाजपा सरकार ने लोक नायक जयप्रकाश नायक सम्मान निधि योजना की शुरुआत करते हुए मीसाबंदियों को सम्मान निधि देने का निर्णय लिया था। सम्मान निधि योजना के तहत पात्र मीसाबंदियों के लिए दो तरह का मापदंड बनाया गया था।
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