CG के इस मंदिर के सामने ट्रेनों की रफ्तार हो जाती है धीमी, बलि देने की है अनोखी प्रथा…

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के जिले बिलासपुर से कटनी रेल मार्ग पर पेंड्रा में स्थित भनवारटंक के मरही माता मंदिर में, दुर्गानवमी के अवसर पर विशेष पूजा अर्चना की गयी। यहां भनवारटंक रेलवे ट्रेक के किनारे पर स्थित मंदिर में श्रध्दा के चलते ट्रेनों की रफ्तार भी, मंदिर के सामने धीमी करने की बात कही जाती है। नवरात्रि के पहले दिन से ही यहां मंदिर में श्रद्धालुओं का रेला उमड़ा जहां लोगों ने मन्नतों के नारियल बांधकर दुआएं मांगी। घने जंगल में स्थित मरही माता मंदिर में पूरे नवरात्रों में होने वाली विशेष पूजा अर्चना में बड़ी संख्या में श्रध्दालु जुटे।

शारदीय नवरात्रि के पावन अवसर पर उमड़ता है आस्था का सैलाब


बिलासपुर से कटनी जाने वाले रेल मार्ग पर स्थित भनवारटंक के मरही माता मंदिर में शारदीय नवरात्रि के पावन अवसर पर आस्था का सैलाब उमड़ता है आज दुर्गानवमी के अवसर पर यहां विषेश पूजा अर्चना कर बलि परंपरा के जरिये भी दैवीय आराधना की गयी। यहां भनवारटंक रेलवे ट्रेक के ठीक किनारे पर स्थित मंदिर में माता का आषीर्वाद पाने के लिये यहां ट्रेनें रूकती है और तो और इस मंदिर की महिमा का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि यहां से गुजरने वाले ट्रेनों की रफतार भी मंदिर के सामने धीमी हो जाती है।

बिलासपुर कटनी रेल रूट पर जंगलों के बीच स्थित भनवारटंक की मरही माता मंदिर में भी अन्य मंदिरों की तरह ही शारदीय नवरात्रि को विषेश पूजा अर्चना होती है जहां पर दूरस्थ जंगलों में स्थित भनवारटंक की मरही माता मंदिर में पूरे नवरातों को होने वाली विषेश पूजा में भारी संख्या में लोग शामिल होते हैं।

इसके अलावा यहां मान्यता पूरी होने पर बली भी दिये जाने की परंपरा है। सन 1984 में इंदौर बिलासपुर नर्मदा एक्सप्रेस रेल हादसे के बाद यहां मरही माता की मूर्ति लोगों को दिखाई दी थी जिसके बाद यहां छोटी सी मंदिर बनायी गयी और एैसी मान्यता है कि मरही माता के आषीर्वाद से ही बिलासपुर कटनी रेल रूट का जंगली क्षेत्र भनवारटंक में हादसों से रक्षा होती है। नवरात्रि के पहले दिन से ही यहां मंदिर में श्रद्धालुओं का रेला उमड़ा जहां लोगों ने मन्नतों के नारियल बांधकर दुआंए मांगी।

मरही माता मंदिर रेलवे पटरी के ठीक किनारे है और यहां से गुजरने वाली रेलगाड़ियों की रफतार भी मंदिर के सामने कम हो जाती है और यहां माता को प्रणाम करने के बाद ही इंजन चालक आगे की यात्रा पूरी करते हैं माता के मंदिर में भीड़ यहां की महिमा को बतलाता है।

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