जबलपुर। जबलपुर रेल मंडल के गुजरने वाली पटरियों की मरम्मत के नाम पर नियम और तय मापदंड की अनदेखी की जा रही है। इसकी खामियाजा रेल दुर्घटनाओं से उठाना पड़ रहा। सबसे चौंकने वाली बात यह है कि इन दुर्घटनाओं की जांच में भी दोषियों को बचाने जिम्मेदारी गड़बड़ी कर रहे हैं। ऐसा ही मामला जबलपुर रेल मंडल के सिंगरौली-ब्यौहारी के बीच विजयसोपा स्टेशन के पास दुर्घटनाग्रस्त हुई मालगाड़ी की जांच में सामने आया है।
मामलों की जांच में पटरियों की गुणवत्ता में खामी मिली
सूत्रों की मानें तो इस पूरे मामलों की जांच में पटरियों की गुणवत्ता में खामी मिली। यह खामी आरडीएसओ यानि रेलवे के रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्स आर्गनाइजेशन की जांच में मिली है, लेकिन इंजीनियरिंग विभाग की लापरवाही को बचाने के लिए आपरेटिंग और कमर्शियल विभाग को भी इसमें दोषी पाया। गौरतलब है कि यह घटना दिसंबर 2023 में हुई थी। इसमें मालगाड़ी के 10 बैगन पटरी से उतरे और लगभग 12 घंटे तक यातायात बाधित रहा। इतना ही नहीं इससे कई यात्री ट्रेनों को रद किया तो कईयों के रूट बदल दिए गए।
अल्ट्रासाउंड जांच में मिली पटरी में गड़बड़ी
इंजीनियरिंग विभाग द्वारा जबलपुर मंडल की सीमा में पटरियों काे बदलने का काम किया जा रहा है। इस दौरान कई पटरियों की गुणवत्ता को नजर अंदाज कर इन्हें लगाया जा रहा है। यहां तक की कई जगह पर पुरानी पटरियाें को हटाकर नई लगाने की बजाए पुराना ही लगाया जा रहा है। सूत्रों की माने तो जिस पटरी से मालगाड़ी के वैगन पटरी से उतरे, वह भी पुरानी थी। सूत्रों की माने तो आरडीएसओ की जांच में इन पटरियों के सैम्पल को अल्टासाउंड के जरिए जांचा गया। इस दौरान पटरी की गुणवत्ता खराब मिली वहीं मेंटनेंस में भी लापरवाही की गई थी। हालांकि इस रिपोर्ट को जांच अधिकारियों ने महत्व नहीं दिया। रेलवे बोर्ड के सख्ती से बचने के लिए दुर्घटना में अन्य विभागों को भी दोषी बना लिया, ताकि सजा से बचा जा सके।
रेलवे बोर्ड ने लिया सबक, जबलपुर मंडल ने नहीं
जबलपुर रेल मंडल में 2023 में एक दर्जन से ज्यादा दुर्घटनाएं हुई। यही 2024 में भी इन दुर्घटनाओं का सिलसिला नहीं रूका। विजयसौपा के पास हुई मालगाड़ी दुर्घटना की गंभीरता को देखते हुए रेलवे बोर्ड ने जबलपुर मंडल समेत देशभर के रेल मंडल के साथ सेफ्टी बैठक की और दुर्घटना को रोकने कई अहम कदम भी उठाए, जिसमें दुर्घटना के बाद राहत कार्य समय पर करने और ट्रेन संचालन बाधित होने से रोकने के लिए प्रमुख स्टेशन पर आपात कालीन बजट की व्यवस्था और दुर्घटना के बाद पटरियों को सुधारे के लिए जरूरत उपकरणों को स्टेशनों में रखने के निर्देश दिए थे। इतना ही नहीं ड्रीलमेंट के दौरान दुर्घटनाग्रस्त डिब्बे को हटाने के लिए निजी ठेकेदारों की मदद से हैवी मशीनों की जानकारी स्टेशन पर रखना अनिवार्य किया गया है।
ऐसे रिपोर्ट में उठे सवाल
- दुर्घटना की वजह मालगाड़ी को ओवरलोड़ माना, लेकिन 108 कोच की मालगाड़ी धनबाद से यहां तक बिना दुर्घटनाग्रस्त हुए पहुंची।
- दुर्घटनाग्रस्त से पहले और बाद में लोड वैगन की जांच दमोह और खन्नाबंजारी में हुई, दोनों की रिडिंग अलग-अलग मिली।
- दुर्घटनाग्रस्त में करोड़ों का नुकसान हुआ और यात्री ट्रेनों रद की और रूट बदला, पर दोषी एक भी रेल अधिकारी नहीं बना
- इंजीनियरिंग और कमर्शियल के कर्मचारियों पर दुर्घटना का दोष लगा, ताकि विभाग के मुखियाें को बचाया जा सके।
- रेलवे बोर्ड चेयरमेन को भी सही जांच रिपोर्ट नहीं दी, उन्हें दुर्घटना में सभी विभागों की गलती बताया
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