दो हाथियों का समूह अनूपपुर और जैतहरी तहसील के जंगलों में बनाया अपना ठीहा, घर-बाड़ी एवं फसलों को कर रहे नष्ट

अनूपपुर। कई दिनों से दो हाथियों का समूह अनूपपुर और जैतहरी तहसील के जंगलों में अपना ठीहा बनाया हुआ है। दोनों हाथी छत्तीसगढ़ के मरवाही रेंज से जिले की सीमा में एक पखवाड़े पहले आ गए थे जो जैतहरी के जंगल में धमा चौकड़ी मचाए हुए हैं। इन हाथियों के कारण जंगल क्षेत्र से लगे गांव में रहने वाले लोग सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं।

जमुना गली नमक जंगल में जाकर ठहरा हुआ था

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हाथियों के विचरण दौरान सिर्फ वन विभाग का मैदानी हमला ग्रामीणों की मदद से हाथियों को बीच बस्ती में रुकने प्रवेश करने से रोकने का प्रयास पूरी रात करता रहता है। गुरुवार एवं शुक्रवार की रात दोनों हाथियों का समूह संग्रह के जंगल से निकलकर बांका गांव में स्थित दो ग्रामीणों के घरों में बुरी तरह तोड़फोड़ कर घरों में रखे विभिन्न तरह के सामानों को खाता हुआ दुध मनिया बीट के जमुना गली नमक जंगल में जाकर ठहरा हुआ था।

रात के समय दोनों हाथी ग्रामीणों के खेत तथा मकान में पहुंच जाते

रात के समय दोनों हाथी ग्रामीणों के खेत तथा मकान में पहुंच जाते और भोजन की तलाश में तोड़फोड़ करते और सुबह होने से पहले जंगल में जाकर आराम करते। यह सिलसिला हर रात का बना हुआ है।वन विभाग हाथियों को वापस छत्तीसगढ़ की सीमा की तरफ खदेड़ने में पूरी तरह से लापरवार बना हुआ है जिससे ग्रामीणों में वन विभाग के प्रति नाराजगी व्याप्त है।दोनों हाथी अपना आतंक रोज रात के समय मचा रहे हैं।

फसल खाकर नष्ट एवं नुकसान कर रहे हैं

बताया गया दिन में ठहरकर देर रात जंगल से लगभग आठ से दस किलोमीटर एरिया में बसे ग्रामों में जाकर घर-बाड़ी एवं खेतों में लगी फसलों को खाकर फैला कर नष्ट एवं नुकसान कर रहे हैं। हाथियों के निरंतर विचरण एवं नुकसान के कारण ग्रामीण जन भयभीत हैं ।निरंतर हाथियों के विचरण एवं ग्रामीणों के विभिन्न तरह के सामग्रियों संपत्ति का नुकसान किए जा रहें हैं।

अब तक कोई रणनीति नहीं बन सकी है

बताया गया नुकसान की जानकारी जिले के साथ प्रदेश स्तर के जनप्रतिनिधियों एवं प्रशासन को होने के बाद भी हाथियों को जिले से बाहर करने तथा जिले की सीमा में हाथियों के प्रवेश को रोकने की अब तक कोई रणनीति नहीं बन सकी है जिससे पूछे जाने पर कुछ जनप्रतिनिधि एवं अधिकारी मुआवजा दिए जाने की बात कह कर ग्रामीणों को बहला देते हैं। किसी भी तरह की रणनीति अब तक स्थल पर न होने से ग्रामीण हाथियों से द्वंद युद्ध करने को तैयार हो रहे हैं।

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