GI Tag हासिल कर चुके हैं ये भारतीय फूड्स, अपने स्वाद के लिए दुनियाभर में हैं मशहूर

भारत विविधता में एकता का देश है। यहां के खानपान, पहनावे और बोली में आपको कई तरह की विविधता देखने को मिलेगी। यहां हर एक राज्य का अपना अलग स्वाद और रहन-सहन होता है। यही वजह है कि यहां का खाना देश ही नहीं, विदेश में भी काफी पसंद किया जाता है।

यहां कई ऐसे में पकवान हैं, जिनका स्वाद लोगों को काफी पसंद आता है। भारत में मौजूद ऐसे ही व्यंजनों को विशेष पहचान देने के लिए उन्हें जीआई टैग (GI Tag) यानी जियोग्राफिकल इंडिकेशन (Geographical Indication) दिया जाता है। हाल ही में ओडिशा की लाल चींटी चटनी को जीआई टैग मिला था। यह टैग किसी विशेष भौगोलिक स्थान के प्रोडक्ट्स को एक अलग पहचान देता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे भारत के 7 ऐसे फूड्स के बारे में, जिन्हें जीआई टैग मिल चुका है।

दार्जिलिंग चाय

भारत की दार्जिलिंग चाय अपनी खास सुगंध और स्वाद के लिए जानी जाती है। इस चाय की एक और खास बात यह है कि दार्जिलिंग चाय जीआई टैग पाने वाला देश का पहला फूड आइटम था।

बासमती चावल

भारत के लगभग हर घर में बासमती चावल बनाए जाते हैं। यह चावल खासतौर पर अपने लंबे दानों और सुगंध के लिए जाने जाते हैं। अपनी इसी खासियत की वजह से हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के कुछ हिस्सों सहित विशिष्ट राज्यों के बासमती चावल ने जीआई टैग हासिल किया है।

हनुमान गढ़ी बेसन के लड्डू

हनुमान गढ़ी बेसन के लड्डू अपने खास स्वाद के लिए मशहूर हैं। ये बेसन के लड्डू राम मंदिर से जुड़े हुए हैं। अपने स्वाद की वजह से इन्हें भी जीआई टैग मिला हुआ है।

मिजो और खोला मिर्च

मिजोरम और गोवा में पाई जाने वाली मिजो और खोला मिर्च को भी जीआई टैग मिला हुआ है। मिजो मिर्च आकार में छोटी और बहुत तीखी होती है, जबकि खोला मिर्च आपके खाने की रंगत बढ़ाने में मदद करती है।

लाल चींटी की चटनी

ओडिशा की लाल चींटी की चटनी ने हाल ही में जीआई टैग हासिल किया है। यह चटनी मुख्य रूप से राज्य के मयूरभंज जिले में लोकप्रिय है। इसे काई चटनी के नाम से भी जाना जाता है, जो झारखंड और छत्तीसगढ़ में भी बड़े चाव से खाई जाती है।

अल्फांसो आम

फलों का राजा आम कई लोगों का पसंदीदा होता है। अकेले भारत में ही इसकी कई किस्में पाई जाती हैं। अल्फांसो आम इन्हीं में से एक है, जिसे आमों का राजा कहा जाता है। यह मुख्य रूप से महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में पाया जाता है और इसे भी जीआई टैग मिला हुआ है।

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