पटना। बिहार शिक्षा विभाग ने निजी कोचिंग संस्थानों में कक्षाएं लेने वाले सरकारी स्कूल के शिक्षकों पर शिकंजा कसते हुए इस प्रथा में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला किया है। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक ने एक जनवरी, 2024 को राज्य भर के जिलाधिकारियों (डीएम) को लिखे पत्र में, उन्हें अपने संबंधित क्षेत्रों में सभी निजी कोचिंग संस्थानों में कक्षाएं लेने वाले सरकारी स्कूल के शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है।
पाठक ने अपने पत्र में कहा, “विभाग को शिकायतें मिल रही हैं कि कुछ सरकारी स्कूल शिक्षक अपने संबंधित क्षेत्रों में निजी कोचिंग संस्थानों में कक्षाएं ले रहे हैं। पत्र में कहा गया है, इस प्रथा पर तुरंत रोक लगाने की जरूरत है। शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि इसके बाद भी, यदि कोई शिक्षक इस तरह की प्रथा में लिप्त पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ सख्त विभागीय कार्रवाई की जाएगी और (ऐसी) गलती करने वाले निजी कोचिंग संस्थानों के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई शुरू की जाएगी।
विभाग ने राज्य के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को प्राथमिकता के आधार पर ऐसे शिक्षकों का ब्योरा मुख्यालय को उपलब्ध कराने के लिये कहा है। शिक्षा विभाग द्वारा संकलित एक नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में पंजीकृत निजी कोचिंग संस्थानों की कुल संख्या 12,761 है, और उनमें नामांकित छात्रों की संख्या 9,95,533 है। राज्य की राजधानी, पटना में अधिकतम संख्या 1017 (151104 छात्रों के साथ नामांकित) है ) पंजीकृत निजी कोचिंग संस्थान हैं। इसके बाद बेगुसराय में 636 (60311 छात्र), गया में 623 (44975 छात्र), पूर्वी चंपारण में 604 (90936 छात्र), पूर्णिया में 598 (9585 छात्र), समस्तीपुर में 581 (21101) पंजीकृत निजी कोचिंग संस्थान हैं।
जिस जिले में पंजीकृत कोचिंग संस्थानों की संख्या सबसे कम है, वह जहानाबाद है जहां 40 (छात्र: 6115) पंजीकृत निजी कोचिंग संस्थान है। पत्र में कहा गया है कि बिहार विद्यालय परीक्षा समित (बीएसईबी) के निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार राज्य भर में कक्षा 10 और कक्षा 12 दोनों के लिए प्रैक्टिकल और थ्योरी परीक्षा आगामी 10 जनवरी से शुरू होगी। इसलिए, संबंधित अधिकारियों को सलाह दी जाती है कि वे अपने उन स्कूलों में सभी शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करें जहां वे तैनात हैं।
पत्र में आगे कहा गया है, ”बीएसईबी परीक्षाओं के दौरान शिक्षकों को छुट्टी देने की भी जांच करने की जरूरत है। अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि किसी भी स्थिति में किसी स्कूल में तैनात कुल शिक्षकों में से 10 प्रतिशत से अधिक एक समय में बोर्ड परीक्षा के दौरान छुट्टी पर न जाएं।” बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर बार-बार प्रयास के बावजूद इस मुद्दे पर अपनी टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं हो सके। राज्य शिक्षा विभाग ने इससे पूर्व राज्य भर के जिलाधिकारियों को ‘प्रत्येक सप्ताह में कम से कम दो बार सभी स्कूलों का निरीक्षण’ सुनिश्चित करने और अनुपस्थित शिक्षकों के लिए ‘एक दिन का वेतन तुरंत काटने’ के निर्देश दिये थे । यह निगरानी एक जुलाई से शुरू हो गयी है।
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