हाईकोर्ट ने एक केस की सुनवाई के दौरान IPS और बिलासपुर सिविल लाइन CSP को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि आप वर्दी उतार दीजिए और जज बन जाइए या फिर वकालत करिए, आपका स्वागत है। कोर्ट ने कहा कि जब पुलिस अफसर जज का काम करने लगे तो कोर्ट की जरूरत ही नहीं है। पुलिस ही फैसला कर ले तो हम लोग क्या करेंगे।
आत्महत्या के लिए उकसाने के एक मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस एनके व्यास ने ये टिप्पणी की। उन्होंने यहां तक कह दिया कि ईश्वर ने आपको वर्दी दी है तो थोड़ी सी इज्जत करिए भगवान के लिए।
दरअसल, बिलासपुर के सकरी क्षेत्र के रहने वाले वीरेंद्र नागवंशी के बेटे सिद्धांत नागवंशी ने करीब दो साल पहले सुसाइड कर लिया था। बेटे की आत्महत्या के केस पर पिता वीरेंद्र ने प्रताड़ना का आरोप लगाया था। उनका कहना था कि जमीन खरीद-बिक्री के विवाद में उनके बेटे का नाम घसीटकर प्रताड़ित किया जा रहा था, जिससे तंग आकर उसे आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ा।
पुलिस अफसरों से कई बार शिकायत की
वीरेंद्र नागवंशी अपने बेटे की मौत की जांच और दोषी भू-माफिया पर कार्रवाई की मांग को लेकर लंबे समय तक पुलिस अफसरों के दफ्तरों का चक्कर काटते रहे। अफसरों ने जांच के अलावा कुछ नहीं किया। दो साल तक न्याय के लिए दर-दर भटकने के बाद भी पुलिस अफसरों ने कोई कार्रवाई नहीं की।
न्याय के लिए खटखटाया हाईकोर्ट का दरवाजा
वीरेंद्र नागवंशी ने इस केस में अब न्याय के लिए हाईकोर्ट की शरण ली है। याचिका में बताया कि सिद्धांत नागवंशी कांग्रेस नेता अकबर खान के यहां काम करता था। अकबर खान और दिपेश चौकसे ने सिद्धांत के जरिए जमीन खरीदने के लिए मीनाक्षी बंजारे से सौदा किया है। अकबर ने मीनाक्षी की जमीन खरीदने के लिए सिद्धांत के साथ एग्रीमेंट कराया।
साथ ही एग्रीमेंट के दौरान 30 लाख रुपए सिद्धांत के खाते में जमा कराया। बाद में जमीन विवादित हो गई और अकबर अपने कर्मचारी सिद्धांत पर पैसे वसूलने के लिए दबाव बनाने लगा। वहीं, मीनाक्षी ने पैसे वापस करने से मना कर दिया। आरोप है कि इसके बाद से अकबर और दीपेश चौकसे मिलकर परेशान करते थे और मजबूरन सिद्धांत को आत्महत्या करना पड़ा। पिता ने इस केस में दोषियों पर FIR दर्ज करने की मांग की है।
IPS पर भड़के जस्टिस एनके व्यास
इस केस की सुनवाई जस्टिस एनके व्यास की सिंगल बेंच में हुई। इस दौरान FIR दर्ज नहीं करने पर जस्स्टिस व्यास ने IPS संदीप पटेल पर कड़ी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि पुलिस की जांच स्पष्ट नहीं है। अकबर खान को क्यों क्लीन चिट दी गई, कोई पॉलिटिकल प्रेशर था क्या। कोर्ट ने यहां तक कहा कि हमें मत बोलवाइए, कुछ लिख देंगे तो दिक्कत हो जाएगी।
बड़े लोगों का नाम आने पर पुलिस क्यों नहीं करती FIR
सुनवाई के दौरान जस्टिस व्यास ने कहा कि ऐसे कोई भी केस में पुलिस आसानी से केस दर्ज कर लेती है। जब बड़े लोगों का नाम आता है, तब कुछ प्रॉब्लम हो जाती है। उन्होंने कहा कि FIR करने में क्या दिक्कत है। सुनवाई के दौरान IPS संदीप पटेल ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि केस में FIR दर्ज की जाएगी।
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