नई दिल्ली। नए जमाने के पोस्ट ऑफिस के लिए सरकार नया कानून ला रही है। इस प्रक्रिया में सोमवार को पोस्ट ऑफिस बिल 2023 को राज्य सभा से पारित कर दिया गया। इस बिल के कानून बनने के बाद अंग्रेजों के जमाने का 125 साल पुराना पोस्ट ऑफिस कानून समाप्त हो जाएगा।
सरकार का मानना है कि पोस्ट ऑफिस अब सिर्फ डाक पहुंचाने वाले काम तक सीमित नहीं है, बल्कि जनता से जुड़ी विभिन्न प्रकार की सेवाएं प्रदान कर रहा है। इसलिए इसके कानून में भी बदलाव की जरूरत है।
1898 में बनाया गया था पोस्ट ऑफिस कानून
प्रचलित पोस्ट ऑफिस कानून 1898 में बनाया गया था। प्रस्तावित नए कानून में जनता से जुड़ी विभिन्न सेवा प्रदाता के रूप में पोस्ट आफिस को स्थापित करने की कोशिश है। प्रस्तावित कानून में राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में अधिकारी को पोस्ट ऑफिस के माध्यम से आने वाले डाक या सामान को खोलकर देखने का अधिकार होगा। डाक या सामान को अधिकारी डिलिवरी करने के बजाए उसे जब्त भी कर सकता है। इसके अलावा डाक विभाग के महानिदेशक को पोस्ट ऑफिस की तरफ से आवश्यकतानुसार नई सेवाओं को शुरू करने और उसके बदले में शुल्क निर्धारित करने का अधिकार होगा।
सेवा प्रदान करने वाला संस्थान बन गया है पोस्ट ऑफिसः वैष्णव
राज्य सभा में इस बिल पर चर्चा के दौरान संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि पिछले साढ़े नौ साल में पोस्ट आफिस से लेकर पोस्टमैन और पोस्ट आफिस की सेवाओं में बड़ा बदलाव हुआ है और पोस्ट ऑफिस सिर्फ डाक पहुंचाने की जगह अब विभिन्न सेवा प्रदान करने वाला संस्थान बन गया है। उन्होंने कहा कि एक समय ऐसा भी आया था खासकर यूपीए के शासनकाल में, जब पोस्ट आफिस अप्रासंगिक लगने लगा था।
2014 से लेकर 2023 तक खोले गए 5000 नए पोस्ट ऑफिस
वैष्णव ने कहा कि वर्ष 2004 से वर्ष 2014 तक 660 पोस्ट आफिस बंद कर दिए गए, जबकि वर्ष 2014 से वर्ष 2023 तक 5000 नए पोस्ट आफिस खोले गए और 5746 पोस्ट ऑफिस खोलने की तैयारी है। इसके अलावा 1.6 लाख पोस्ट ऑफिस को कोर बैंकिंग व डिजिटल बैंकिंग सुविधाओं से जोड़ दिया गया है। पोस्ट ऑफिस आधार सेवा केंद्र का भी काम कर रहे हैं।
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